भले अलग हो रंग, ढ़ंग
भले अलग हो देश, वेश
मानव का मानव से बस,
कभी न हो कोई भेद।तुझे बनाया रब ने, मुझे बनाया रब ने।
पिता अगर हो एक, फ़िर बच क्या गया शेष।
मानव का मानव से बस, कभी न हो कोई भेद।कहीं मन्दिर, है मस्जिद कहीं।
है गुरूद्वारा, तो गिरजाघर कहीं।
भले राह हो अलग हमारी, मंज़िल है पर एक।
मानव का मानव से बस, कभी ना हो कोई भेद।भले अलग हो धर्म, अलग भले हो जाति।
कर्म है सबके एक,एक है हमसब साथी।
भले अलग हो काफ़ि कुछ, पर फ़िर भी रहे हम एक।
मानव का मानव से बस, कभी न हो कोई भेद।--->>SANIYA❤️
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Wandering mind❤️
PoesíaIt's not a story . I'm writing poetries here. I'm writing everything I feel, everything I think, everything I imagine. The poetries can be in hindi as well as english. I'm just sharing my thoughts , I'm sharing the corners where my mind wanders. If...