मैं नारी हूँ।

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किसीने मां की कोख में ही मारने का प्रयास किया,
किसीने जन्म के तुरंत बाद ही मार दिया।
भाग्यवश अगर इनसे बच गई,
तो बाहरी लोगों ने जीना दुश्वार किया।

मैं नारी हूँ, कोई श्राप नहीं।
मैं शक्ति हूँ, अभिसाप नहीं।
मैं कोमल हूँ, लाचार नहीं।
मैं र्निमल हूँ,  कोई भार नहीं।

मैं हूँ, माँ की ममता, बहन का प्यार।
बेटी का सुख, तो मौसी का दुलार।

स्त्री नहीं, तो माँ नहीं।
माँ नही, तो पुत्र नही।
पुत्र नहीं, तो पुरुष नहीं।
नाही स्त्री , नाही पुरुष,
और कोई नही तो ये संसार भी नहीं।

मेरी सुरक्षा के लिए मैं स्वयं ही काफ़ी हूँ।
नही चाहिए किसी की मदद, मैं ख़ुद ही सौ पे भारी हूँ।

मैं सुशीला हूँ, तो विकराली भी।
मैं दूर्गा हूँ, और काली भी।

मैं करूणा हूँ और क्रांति भी।
मैं युद्ध हूँ और शांति भी।

मैं हूँ , ममता , करूणा और प्रेम की माला।
साथ ही हूँ , मैं क्रोध की ज्वाला।

जिस दिन जलेगी ये क्रोध की मसाल,
उस दिन होगा, उन दरिंदों का जीना बेहाल।

जो है जैसा, उसे वैसे ही रहने दो।
ख़ुद जियो और दूसरों को भी जीने दो।

-----saniya❤️

Wandering mind❤️Where stories live. Discover now