याद

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आँखों में नमी है इतनी कि धुँधली हो आई है।
आज मुझे फिर से तेरी याद आयी है।


चांद तो निकला नहीं कभी शहर में हमारे,
हमने तो रात जुगनू के सहारे बिताई है।

जो आँखों में चमक तुझ जैसी होती तो रात भी रौशन कर लेते।
मगर शब तो जा चुकी, अब सहर हो आई है।

आंगन में हमारे फूल न खिले कभी,
यहां कलियां आकार भी मुरझाई है ।

सुना है तू भी किसी की यादों में है डूबा हुआ।
चलो कहीं तो हम में एकता आई हैं।

->saniya ❤️

Wandering mind❤️Where stories live. Discover now