रोजगार की मार

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महलों के जैसे घर हो जिसके,
एक क्षण भी, जो ना रहा हो भूखे,
पैसे की तंगी से, जो ना झून्झा कभी,
वो क्या जाने?
रोजगार की मार, वो क्या जाने?

कभी जिसने ना देखी गरीबी,
सुविधाओं में जिसकी कटी जिन्दगी।
हवाओं को भी खरीद सके जो,
वो क्या जाने?
रोजगार की मार, वो क्या जाने?

------->saniya ❤️

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