Kaam aur naam

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इस नशे का क्या करूँ, जो मुझे मुझसे है,
इस इश्क का क्या करूँ, जो मुझे मुझसे है।

इश्क और नशा दोनों मुझे अपने काम से हैं,
इश्क और नशा दोनों मुझे अपने नाम से हैं।

काम से नाम कमाया है,
और नाम से काम बढ़ाया है।

इस काम में मेरी जान है,
और नाम में मेरी पहचान है।

जान और पहचान दोनों मेरे पास हैं,
और दोनों मेरे ख़ास हैं।

नाम मेरी भांग है, काम मेरी शराब,
नाम और काम से मेरे हर सवाल का जवाब।

कुछ सवाल हैं अजीब, हैं बेमानी,
जैसे क्या है मेरा अधूरा ख्वाब...

अधूरा तो कुछ है ही नहीं,
मेरे काम और नाम में है सब सही।

सब कुछ सही है, कुछ सही कर लिया,
माना थोड़ी बेकार थी, पर अब बेहतर बना लिया।

इतना वक्त दिया काम और नाम को, कि इससे इश्क हो गया,
इतना दोहराया काम और नाम को, कि इससे नशा हो गया।

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