teri voh muskuraht

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तेरी वो प्यारी सी मुस्कुराहट,
आंखों से हंसता हुआ शरमाना,
बोलते वक्त थोड़ा सा हिचकिचाना,
मुझे सुनते हुए वो हां में गर्दन हिलाना,
जब मैं नाराज़ हूं, प्यार से खाना बनाना,
और फिर मुस्कुराके मुझे मनाना,

मुझे बहुत पसंद हैं,
पसंद हैं वो हाथ, जो मेरा हाथ थामते हैं,
पसंद हैं वो पैर, जो मेरे कदम से कदम मिलाते हैं,
पसंद हैं वो होंठ, जो मुझे चूमते हैं,
पसंद हैं वो कान, जो मुझे सुनते हैं,
पसंद हैं वो चेहरा, जो मुझे देख के मुस्कुराता हैं।

पसंद हैं वो हर चीज़ जो मुझसे जुड़ गई..
मैं तेरी आंखों के समंदर में गिर गई,
गिरने के अलावा तेरी उन अदाओं में डूब गई,
जितना तू मेरा हो गया उससे कई ज़्यादा मैं तेरी हो गई...
और तुझे समझने में, मैं इतनी खो गई,
कि अब तेरे अलावा मैं सब भूल गई।

पर वो जो गुलाब का फूल था, वो अब भी मेरे पास है,
और तेरे साथ बिताया हुआ हर एक पल का एहसास है,
कितनी मोहब्बत है तुझे मुझसे, मुझे उसका भी आभास है,
और मैं जानती हूं कि, तुझे मेरे जिस्म की नहीं मेरे रूह की प्यास है..
तू हर वक्त दूर रहके भी पास है,
इसीलिए ही तो तू मेरे लिए बहुत खास है,

तू इतना खास है मेरे लिए जैसे कोई मोती,
इसीलिए तुझसे वफ़ा भी नहीं होती,
और तेरे ख्वाबों में रहती हूं इसलिए पूरी रात नहीं सोती,
रातों में बस अब यही सोचती,
कि कब अगली बार मुलाकात होगी।

हम मिलते हैं जब बड़े प्रेम से गले लगते हैं,
कितना प्यार है एक-दूसरे से एक-दूसरे को बयां करते हैं,
वो बहुत पुरानी उन बातों पर साथ में हंसते हैं,
और किसी और को अपनी बातें बताने से, हम दोनों ही बहुत बचते हैं,
अपने रिश्ते को हम दोनों ही, अपने तक ही रखते हैं,
क्योंकि औरों के आने से केवल अपनों के रिश्ते ही उलझते हैं।

हम दोनों ही सुलझे से हैं,
वो खुली सी किताब है,
और उस किताब को, मैं विद्वानों की तरह पढ़ती हूं,
बार-बार उसके पन्ने दोहराती हूं,
कि छूट ना जाए कोई शब्द, ऐसे ही उसको समझकर, मैं अपना प्यार उसे जताती हूं,
अपनी मोहब्बत को बयां करने के लिए, मुझे अगर शब्द मिल जाएं, तो क्या ख़ाक तुझसे मोहब्बत करती हूं,
पर मैं तो कवियित्री हूं, लिखने से ख़ुद को बाज़ नहीं आती हूं,
इसीलिए ही तेरे लिए कविता पे कविता लिखती जाती हूं,
और या तो कविताओं में या असलियत में तुझमें ही गुम रहती हूं।

क्या तू भी हर समय मेरे बारे में सोचता है,
कब होगी मुलाकात मुझसे बस उसका इंतज़ार करता है,
क्या तू भी मेरी उन पुरानी शरारतों को याद कर हंसता है,
क्या तू भी मुझे याद करके ही उठता है और फिर याद करके ही सोता है,
क्या तू भी मुझे याद करके यह कहता कि, वो होती तो कितना अच्छा होता है,
क्या तू भी मेरी तस्वीरों को बार-बार देखा करता है।

सुन ज़रा, अगर इन सब सवालों का जवाब हां है,
तो हम दोनों का प्यार करने का तरीका समान है,
और बेफिक्र हो जा, क्योंकि अभी तक हमारा प्यार जवान है,
इतना जानने के बाद, मेरा दिमाग ख़ुद हैरान है,
कि कोई कारण नहीं मिला कि मैं यह कहूं कि तू मेरे प्रेम में बेईमान है,
हां, मुझे तेरी इतनी तो पहचान है।

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