कभी तू इतना प्यार जताता है?
कभी अच्छे बुरे सब किस्से बताता है,
कभी मुस्कुराना मुझे तू ही याद दिलाता है,
कभी आँसू मेरे तू ही पोछने आता है,पर कभी कभी तू शायद भूल ही जाता,
ये मुस्कुराना, हसाना, और ये बातें बताना,
कभी कभी मेरी सौतन ही बन जाती है ये नाम कमाना,
काम की भाग दौड़ में मुश्किल है समय निकालना,पर क्या सही है कि मैं तेरा इंतजार करूँ,
और तेरे साथ ही बस मैं फूलों की तरह खिलूँ,
तेरे बिन मैं आँसुओं का लगा दूँ झरना,
शायद होता होगा सही ऐसा ही करना,पर शायद सही नहीं हर समय रानी सा रहना,
कभी कभी सही है उसको भी ताज पहनाना,
तो आज जैसे ही वो उठा, गुलाब मैं उसके हाथ में थामे,
थोड़ा सा समय चुरा कर बिताई उसके साथ ये शामें,मुझे बहुत अच्छा लगा,
उसके चेहरे पे ही आज अलग सा नूर दिखा,
उसकी हीरे सी आँखें आज कुछ ज्यादा चमकीं,
और आज सच में, मैं प्यार देना भी सीखी।