सुरक्षित मार्गदर्शन

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गुफा के द्वार पर एक व्यक्ति खड़ा था। उसने पूछा," सावन? तुम गुफा के इतने अंदर, अंधेरे में क्यों खड़े हो, इतना अंधेरा है कि तुम दिख भी नहीं रहे, बाहर आओ , तुम्हारी मदत चाहिए।"

हिमा, जो घबराहट के मरे आंखें बंद करके नीचे की ओर मुंह करके खड़ी थी, अचानक से आंखें बड़ी करके उस व्यक्ति की ओर देखने लगी, और मुस्कुराई, मन ही मन खुश होने लगी और सोचने लगी,"अर्थात इसने हमें परिवर्तित होते हुए नहीं देखा!!!! हे भगवान!! धन्यवाद!!" हिमा ने प्रसन्नता में हाथ जोड़े अपने मन में सोचा।

फिर अचानक हिमा ने ध्यान दिया,"रुको, इस व्यक्ति की आवाज सुनी हुई सी क्यों लग रही है ?" यह सोच कर, हिमा उस अंधेरी गुफा की गहराई से बाहर की ओर आने लगी।

जैसे ही वह बाहर की ओर आई और उस व्यक्ति को अच्छे से देखा, हिमा का सुंदर सा चेहरा मुरझा गया। क्योंकि जो व्यक्ति गुफा के द्वार पर खड़ा था, वह वही रूपवान व्यक्ति था जो हिमा से सुबह महल में मिला था और हिमा का उपहास बनाकर चला गया था।

वह व्यक्ति भी छोटी रानी हिमा को इस पुराने से गुफा में देख कर आश्चर्यचकित रह गया," छोटी रानी जी?? आप यहां क्या कर रही हैं?? आपने फिर से नियमों का उल्लंघन किया है आपको ज्ञात है न, एक रानी बिना किसी सेवक, सेविका या पहरेदार के महल से बाहर नहीं जा सकती है, आप जानती भी हैं या नहीं ???" इस बार वह उपहास में नहीं बल्कि बहुत गंभीर हो कर कह रहा था।

हिमा भी थोड़ा डर गई, घबराहट में सोचने लगी," अरे नहीं, इसकी बात सही है, और इस बार तो महल में भी सबको पता चल गया होगा कि हम महल से गायब हैं!!! कोई तो बहाना खोजना होगा, ताकि हम बच जाए!!, और हमें कोई दंड भी न मिले!!!"

फिर से, हिमा घबराहट में थी, और अब उसके मुख के विस्तार बहुत ही आकर्षक लग रहे है। उस रूपवान व्यक्ति ने अभी, इस चीज पर गौर किया, कि छोटी रानी हिमा घबराहट में कितनी आकर्षक दिखने लगती हैं , वह कुछ क्षणों के लिए छोटी रानी की सुंदरता को निहार रहा था, फिर अचानक वह होश में आया, और पूछने लगा,
" छोटी रानी जी?? क्या सोच रही हैं?" बताइए कि आप यहां की कर रही हैं??"
हिमा थोड़ा चीड़ कर बहुत धीरे से बड़बड़ाती हुई बोली,
"अरे सोचने तो दो!"
इसपर वह व्यक्ति बोला,
"हैं?? क्या??"
तब हिमा नाटक में मुस्कुराते हुए बोली,
"अरे, हे हे, हमारा मतलब था कि.......... हां!!!! हम भी यही सोच रहे हैं कि हम यहां पहुंचे कैसे, हमें तो कुछ भी याद नहीं!! और...... हां!! हमारा सर!!! भारी भारी सा लग रहा है !!!" हिमा अब ऐसे बोलने लगी जैसे उसे हल्के से चक्कर आ रहे हों,
"आह!!! हमारा सर दुख रहा है!!! प्रतीत होता है कोई बुरी शक्ति हमें यहां ले आई है, अन्यथा हम, जो अभी कुछ ही कहां पहले महल में थे, यहां कैसे पहुंच गए ??, पक्का कोई हमें यह वश में करके यहां लाया है!! आह हमारा सर घूम रहा है!!!"

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