कहां गई छोटी रानी ?

1 0 0
                                    

पहली रानी नेत्रा ने रानी हिमा के कक्ष में प्रवेश किया, पर वहां कोई नहीं था। "हम तो कुछ ही देर पहले गए थे, रानी हिमा आखिर कहां चली गई?" उसने स्वयं से कहा। उसने मुख्य दासी को बुलाकर उससे पूछा,'छोटी रानी कहा चली गईं "?"

शीतल ने समझाया कि हिमा ने उसे कक्ष से बाहर जाने को कहा था और उसके बाद से वह बाहर नहीं आई थी। नेत्रा हैरान होकर बोली, "तो हमारी छोटी रानी कहां चली गई?"

नेत्रा को पता नहीं था कि हिमा, जो अब एक शेरनी बन चुकी थी, खिड़की से बाहर कूदकर उस दिशा में चली गई थी जो महल के पास वाले जंगल की ओर जाती थी। वह एक सुरक्षित जगह तलाश कर रही थी, तभी एक पहरेदार ने उसे देख लिया और चिल्लाने लगा, "सावधान रहो! महल में एक शेर घुस आया है! इसे पकड़ो!"

सभी पहरेदार शेर को पकड़ने के लिए दौड़ पड़े, बिना यह जाने कि वह असल में रानी हिमा है। सभी के प्रयासों के बावजूद, हिमा किसी तरह से बच निकली और जंगल में जा पहुंची।

काफी देर दौड़ने के बाद, हिमा ने सोचा कि अब वह सुरक्षित है और एक पेड़ के नीचे आराम करने लगी। अचानक उसे अपने पेट में तेज दर्द महसूस हुआ और उसने अपने पेट पर कुछ गड़ा हुआ देखा। उसने अपने मुंह से उस चीज़ को बाहर निकाला, पर दर्द फिर भी कम नहीं हुआ। हिम्मत हारते हुए, डर में उसने सोचा कि अब वह फिर से मनुष्य कैसे बनेगी।

इसी बीच, महल में शेर के घुसने और छोटी रानी हिमा के गायब होने की खबर आग की तरह फैल गई। तीनों रानियां अंदाजा लगाने लगी कि आखिर हिमा कहां होगी और एक शेर महल की सुरक्षा तोड़कर कैसे अंदर आ गया। दूसरी रानी नियति ने सुझाव दिया, "यदि एक शेर सुरक्षा तोड़कर अंदर आ सकता है, तो कदाचित एक नहीं, दो शेर थे, और उनमें से एक तो हमारी छोटी रानी हिमा को पहले ही ले गया होगा?" उसके चेहरे पर एक संतोष झलक रहा था, मानो उसे हिमा के न होने की खुशी हो।

डरी हुई दासियां आपस में बुदबुदाने लगीं, तब तीसरी रानी निशा ने हस्तक्षेप किया, "यह उपहास का समय नहीं है, रानी नियति। और तुम सब दासियां, उसकी बातों पर ध्यान मत दो।"

पर ये सब तो महिलाएं थीं!! अरे भाई, खबर फैलाना महिलाओं का काम है!! कुछ ही देर में महल में हर किसी को पता चल गया कि क्या हुआ है, और सब जगह छोटी रानी हिमा को ढूंढा जाने लगा। पर वह कहां थी? जंगल में, अपनी शेरनी वाली रूप में, एक गुफा में छुपी हुई, और हर गुजरते पल के साथ और भी अधिक निराश हो रही थी।

अकस्मात, हिमा ने गुफा के पास से दो शिकारियों को गुजरते हुए सुना, जो एक पुरानी राक्षसी 'छायांतर' के बारे में बात कर रहे थे।

"भाई, मैंने पढ़ा था कि 'छायांतर' कोई भी रूप ले सकती थी। वह एक इच्छाधारी थी," एक ने कहा।

"सत्य में? वह कैसे करती थी? क्या वह कोई मंत्र जपती थी?" दूसरे ने पूछा।

"नहीं, उसे केवल जिस जीव में परिवर्तित होना होता था, उसके बारे में सोचना होता था, और वह तुरंत बदल जाती थी। अच्छा ही हुआ कि वह मर गई; उसने अपने समय में बहुत तबाही मचाई थी।"

जैसे ही शिकारी वहां से गए, हिमा ने सोचा, "छायांतर? वह कोई भी रूप ले सकती थी? यह तो वही है जो हमारे साथ हुआ! हम ने शेरनी बनने के बारे में सोचा, और हम शेरनी बन गए! तो कदाचित, यदि हम मनुष्य बनने के बारे में सोचें, तो ये काम कर जाए। काश हम फिर से मनुष्य रूप में आ जाएं!"

जैसे ही हिमा ने यह विचार किया, वह फिर से अपने मानव रूप में लौट आई, और उसके शरीर की कोशिकाएं विस्तार लेकर उसके वस्त्रों का रूप ले चुकी थीं। पर ये वस्त्र, जो उसकी कोशिकाओं से बने थे, अगर उन पर खरोंच लगेगी तो उसे दर्द होगा, जैसे उसकी त्वचा पर चोट लगती है।

(राक्षसी छायांतर की विशेषता थी कि वह किसी भी जीव या वस्तु का रूप ले सकती थी, चाहे वह जीवित हो या निर्जीव। वह यहां तक कि अपने वस्त्रों का भी आकार बना सकती थी, अपने कोशिकाओं का विस्तार कर सकती थी।

पर एक कमी यह थी कि यदि उसके वस्त्रों पर खरोंच लगे तो उसे दर्द अनुभव होता था क्योंकि उसकी कोशिकाओं ने अब वस्त्रों का रूप ले लिया था। जैसे हमारी त्वचा में कोशिकाएं होती हैं और चोट लगने पर दर्द होता है, वैसे ही उन वस्त्रों पर खरोंच से भी उसे वैसा ही दर्द महसूस होता।)

अब हिमा फिर से अपने मानव रूप में लौट आई थी। पर तभी, उसने अकस्मात अनुभव किया कि कोई व्यक्ति, हिमा से कुछ दूरी पर, गुफा के मुंह पर खड़ा है। "हे भगवान! क्या उस व्यक्ति ने हमें रूप बदलते हुए देख लिया?" वह घबराते हुए सोचने लगी, उसका दिल जोर से धड़कने लगा।

छायांतर जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें