छायांतर

0 0 0
                                    

हिमा अपना पूरा बल लगा कर स्वयं को शीतल की पकड़ से छुड़वा कर कक्ष के बाहर जाने का प्रयास कर रही थी,
“छोड़ो!! जाने दो हमें!!!”
सेविका शीतल ने अपने पूरे शरीर से हिमा को पकड़ रखा था ताकि हिमा कक्ष के बाहर ना जा सके,
“छोटी रानी जी!!!, सूर्यास्त हो गया है!! आप अपने कक्ष से बाहर नहीं जा सकती हैं!!!”
कुछ समय पश्चात हिमा और सेविका शीतल दोनों तक कर नीचे बैठ गए।
शीतल ने हिमा से हाथ जोड़ कर विनती की , की बाहर जाने की हाथ छोड़ दे। परंतु हिमा कहा सुनने वाली थी। उसे पता था कि शीतल जब तक स्वयं नहीं सो जाती, तब तक हिमा का अपने कक्ष से निकलना असंभव है। तो हिमा ने ढोंग करते हुए शीतल से कहा, की वह कक्ष से बाहर नहीं जाएगी और चुप चाप सो जाएगी।

वह बात अलग है कि शीतल को हिमा पर बिल्कुल विश्वास नहीं था। तो उसने भी सीधे सीधे कह दिया कि जब तक हिमा नहीं सोती , तब तक शीतल स्वयं भी नहीं सोएगी। और वहीं हिमा के कक्ष में पल्था जमा कर, और मुंह फूला कर बैठ गई।

हिमा प्रश्नवाचक भाव से शीतल को देखने लगी। फिर बोली, ”कितनी हठी हो तुम, कितने वर्ष की हो? १६? १७?”

शीतल ने यह सुनकर आँखें चमक उठी ,एक गर्व भरी, भयानक मुस्कान के साथ सीधे हिमा के नेत्रों में देखने लगी।
हिमा उसके यह भाव देख कर डर ही गई। शीतल ने फिर गर्व के साथ कहा,” छोटी रानी... मैं न.... आपसे.... पूरे १ वर्ष बड़ी हु।“

हिमा यह सुन कर अचंभित रह गई! “यह २१ वर्ष की है??!! परंतु व्यवहार तो हमसे भी बालकिया है!!” इतना सब होने के बाद, हिमा अपने बिस्तर पर जाके चादर ओढ कर लेट गई, इस आस में की कुछ देर बाद , शीतल को भी निद्रा आनी ही है।

और वैसा ही हुआ। शीतल कुछ देर में सो गई। हिमा यह देख उछल कर बिस्तर से उठी, और शीतल से बचते बचते, कक्ष से बाहर निकल गई और फिर वह से पहरेदारों से बचते बचते , महल के राज उद्यान पहुंच गई।

परंतु वहां की स्थिति भयानक थी। पाखी वही खड़ी थी अपने हाथों में तलवार लेकर, और पाखी की समक्ष वह रूपवान व्यक्ति अपने बचाव के मुद्रा में गंभीर होकर खड़ा था।

छायांतर जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें