छोटी रानी ही क्यों??

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हिमा महल की ओर बढ़ने लगी। महल के द्वार पर जो पहरेदार थे उन्होंने अपनी चौथी रानी हिमा को महल की तरफ आता देखा, तो सब बहुत ही खुश हो गए। "छोटी रानी वापस आ गई!!!!"
सब अपनी रानी को सुरक्षित देख बहुत प्रसन्न थे और थोड़े ही देर में हिमा सही सामत अपने महल के कक्ष में सुरक्षित पहुंच गई।

अब हिमा आइने के समक्ष बैठी हुई थी। शीतल उसे देख कर अजीब सी मुस्काम लिए सोचने लगी," ये आखिर गायब खा हो गई थीं और आखिर आपस आईं कैसे, और अब भुत के जैसे आइने में घूरती जा रही हैं, माना की आकर्षित दिखती हैं, परंतु अपने आप को इतना घूरना कोई अच्छी बात नहीं हैं। वो कहीं अपने ही सुंदर मुख को दृष्टि न लगा दें।" शीतल अपनी छोटी रानी के लिए चिंतित हो रही थी।

तभी हिमा ने अपने मुख पर बिना कोई विस्तार लिए, एक सीधे चेहरे के साथ अपनी चिंतित हो रही मुख्य सेविका शीतल से पूछा,"
सुनो?
शीतल हड़बड़ा के बोली,"जी जी छोटी रानी??,क्या हुआ?? आपको कुछ चाहिए ??"
हिमा ने कहा,
"हमें ये बताओ कि सब हमें "छोटी रानी" कह के क्यों संबोधित करते हैं? जिस तरह सब, पहली रानी, दूसरी रानी, तीसरी रानी कहकर बाकी रानियों को कहते हैं, वैसे ही हमें चौथी रानी क्यों नि कहते?और ऐसा भी तो हो सकता है कि हमारे बाद, महाराज एक और रानी ले आएं, तो क्या उसके बाद उस रानी को छोटी रानी बोला जाएगा?"

शीतल यह प्रश्न सुनकर कुछ क्षण तक अपना सिर ऊपर की ओर करके अपनी स्मृति को एकत्रित करने लगी, फिर उसने हिचकिचाहट में बोलना आरम्भ किया,
"छोटी रानी ये कथा तो पूरे स्वर्गयु में हर कोई जनता है अब.... परंतु हम आपको शुरुवात से बताते हैं न,...

हुआ यह था कि, महाराज सोम की पिता और आपके पिता, जब दोनों भी जवान थे और अपने अपने राज्यों के महाराज थे, तब वे दोनों बहुत अच्छे मित्र हुआ करते थे, परंतु दोनों कुछ समय बाद किसी कारणवश एक दूसरे के शत्रु बन गए, और उस शत्रुता में आपके पिता ने महाराज सोम के पिता का बहुत बार अपमान कर दिया था। भरी सभा में, आपके पिता ने महाराज सोम के पिता के गले पर तलवार रख दी।

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