वह, जो सात फेरे लेकर,
जन्मों का साथी बना था,
समझ ना पाया कभी,
मेरी आँखों की नमी को।
और तू, जो कहने को बेगाना है,
कैसे देखते ही भाँप गया,
मुस्कुराहटों में दफ़्न,
मेरी जिंदगी की कमी को।
कमी
वह, जो सात फेरे लेकर,
जन्मों का साथी बना था,
समझ ना पाया कभी,
मेरी आँखों की नमी को।
और तू, जो कहने को बेगाना है,
कैसे देखते ही भाँप गया,
मुस्कुराहटों में दफ़्न,
मेरी जिंदगी की कमी को।