कल सारी रात,
चुभते रहे आँखों में,
टुकड़े-टुकड़े ख़्वाब।जलाता रहा आँखे,
पलकों पर ठहरा,
आँसुओं का सैलाब।छूट जाने को,
कसमसाती रहीं,
घुटी-घुटी साँसें।दिल तड़पाती रही,
सीने में सुलगती,
अरमानों की आग।
टुकड़े-टुकड़े ख़्वाब
कल सारी रात,
चुभते रहे आँखों में,
टुकड़े-टुकड़े ख़्वाब।जलाता रहा आँखे,
पलकों पर ठहरा,
आँसुओं का सैलाब।छूट जाने को,
कसमसाती रहीं,
घुटी-घुटी साँसें।दिल तड़पाती रही,
सीने में सुलगती,
अरमानों की आग।