ख़्वाहिश

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बँधा नहीं है तू किसी क़सम या वादे से,
तू आज़ाद है, जब जी चाहे चला जाए।
तू जाएगा तो मेरे दिल का टुकड़ा भी साथ ले जाएगा,
ना भूलूँगी तुझे कभी, तू हर पल याद आएगा।
क्योंकि मेरी ज़िंदगी का अटूट हिस्सा है अब तू,
तुझ ही पे ख़त्म होता है, तुझ ही से दिन शुरू।
ख़्वाहिश तो है कि तू दोस्त रहे मेरा सदा,
ख़्वाहिश तो है कभी मुझसे तू हो ना जुदा...
मगर जो तू मेरी दोस्ती को बंधन समझे,
ख़ुद को गिरफ़्तार समझे, घुट के जिए,
तो तेरी तड़प से ना मैं कभी ख़ुश रह पाऊँगी,
तेरी आँख भरने से पहले मैं आँसू बहाऊँगी।
तू जाना चाहे तो रोकूँगी नहीं दोस्ती की दुहाई देकर,
मगर दिल टूट जाएगा मेरा, तेरी जुदाई से।
ख़्वाहिश तो है कि हाथों में हाथ रहे हमेशा,
ख़्वाहिश तो है कि तेरा साथ रहे हमेशा मगर....

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