डर

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आज रात,
चाँद मेरी आग़ोश में उतर आया।
उसके प्यार की चाँदनी में नहाकर,
मेरा तन-मन झूमा, मुस्कुराया।
कल 'गर,
वह अपने आसमान में लौट जाएगा,
तो मेरे मन का सुकून कौन लौटाएगा?
सदियों से तन्हा मेरी रूह की
प्यास कौन बुझाएगा?

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