तेरे आस-पास ही तो हूँ मैं सदा,
दिल की नज़र से देख तो ज़रा।
महसूस तो करो तुम अपनी साँसों को,
इनकी लय में बसी हुई नहीं हूँ मैं क्या ?
बंद करके आँखों को इक ख़्वाब तो देखो,
ना पाओ रूबरू मुझे तो जो चाहो दो वह सज़ा।
आस-पास
तेरे आस-पास ही तो हूँ मैं सदा,
दिल की नज़र से देख तो ज़रा।
महसूस तो करो तुम अपनी साँसों को,
इनकी लय में बसी हुई नहीं हूँ मैं क्या ?
बंद करके आँखों को इक ख़्वाब तो देखो,
ना पाओ रूबरू मुझे तो जो चाहो दो वह सज़ा।