28 ◆ आजाद

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देखो~मैं आज़ाद बना ।

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देखो~मैं आज़ाद बना ।

   मैं इसलिए आजाद नहीं ..
   कि मुझे सहानुभूतिवश छोड़ा गया ; कैद से
   या उन्होंने मानवता दिखाई ,
   या मेरी जिजीविषा प्रबल रही,
   और मुझे मौका मिला !

    नहीं~~नहीं
    ये सत्य नहीं...।

   बल्कि मैं आज़ाद बना~
   क्योंकि मैं, पिंजरे में कैद, वो पंछी रहा~
   जो सूरज को तकता रहा-
   जिसके पँख कटे थे-
   जो सदा जागता रहा-
   जिसने सूर्य को जीवित रखा, अंधकार में ।

    हाँ~जिस दिन अंधेरे की
    गुलामी ओढ़ लूँगा ; मैं
    उस दिन सहर्ष-
    पिंजरे में लौट पडूंगा, मैं ।

               ★★★

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