कड़ी धूप में, नंगे पाँव
तपते रेगिस्तान में
मेरे जैसे जाने कितने
हैं इस हिंदुस्तान मेंमैं हूँ उपासक
खेतों का, मेढ़ों का
मैं तपस्वी-
मैं वही उपवासी ।मैं खानाबदोश हूँ
मैं ही बहता पानी
मैं सरफ़रोश-
मैं वही देशप्रेमी ।मेरा बदबूदार पसीना
बहता है- इत्र सा
अरब के बाज़ारो मेंमेरा मूक अस्तित्व
जड़ा है-हीरे सा
कोयले की खदानों मेंशहरों का दंभ हूँ मैं
पीसा की मीनार हूँ ।
मैं मजदूर हूँ-
मैं अरब की दीनार हूँ ।मीलों की दूरियां नापी है
मैंने बापू के संग
मैं वही मजदूर हूँ-
जो थकान से नहीं डरामैं वही शिल्पी,
मैंने रचा, कोणार्क को🔸🔸🔸
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धुंध(fiction) ©️
Poetry❣️ Love u...彡 anurag ❣️ "Winner of Reader's Choice Award" Ranked # 1 Classic☑️ # 1 Wattpad # 3 Urdu reviews: **** "The author received recognition by the 'Hon'ble President Of India'. His poems reach deep into the na...