15. राष्ट्र का सेवक (लोककथा)

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राष्ट्र के सेवक ने कहा- देश की मुक्ति का एक ही उपाय है, और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव । दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीच नहीं, कोई ऊंच नहीं ।

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राष्ट्र के सेवक ने कहा- देश की मुक्ति का एक ही उपाय है, और वह है नीचों के साथ भाईचारे का सलूक, पतितों के साथ बराबरी का बर्ताव । दुनिया में सभी भाई हैं, कोई नीच नहीं, कोई ऊंच नहीं ।

दुनिया ने जय-जयकार की- कितनी विशाल दृष्टि है, कितना भावुक हृदय ।

उसकी सुंदर लड़की इंदिरा ने सुना और चिंता के सागर में डूब गई ।

राष्ट्र के सेवक ने नीची जाति के नौजवान को गले लगाया ।

दुनिया ने कहा- ये फरिश्ता है, पैगंबर है, राष्ट्र की नैया का खेवैया है ।

इंदिरा ने देखा और उसका चेहरा चमकने लगा

राष्ट्र का सेवक नीची जाति के नौजवान को मंदिर में ले गया, देवता के दर्शन कराए और कहा- हमारा देवता गरीबी में है, ज़िल्लत में है, पस्ती में है ।

दुनिया ने कहा- कैसे शुद्ध अंतःकरण का आदमी है ! कैसा ज्ञानी !

इंदिरा ने देखा और मुस्कुराई ।

इंदिरा राष्ट्र के सेवक के पास जाकर बोली - श्रद्धेय पिताजी, मैं मोहन से ब्याह करना चाहती हूँ ।

राष्ट्र के सेवक ने प्यार की नज़रों से देखकर पूछा- मोहन कौन है ?

इंदिरा ने उत्साह भरे स्वर में कहा- मोहन वही नौजवान है जिसे आपने गले लगाया, जिसे आप मंदिर में ले गए, जो सच्चा, बहादुर औऱ नेक है ।

राष्ट्र के सेवक ने प्रलय की आँखों से उसे देखा और मुँह फेर लिया ।

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(◍•ᴗ•◍)❤

हिंदी साहित्य के हस्ताक्षर
मुंशी प्रेमचंद द्वारा
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