❣️ Love u...彡 anurag ❣️
"Winner of Reader's Choice Award"
Ranked # 1 Classic☑️
# 1 Wattpad
# 3 Urdu
reviews: ****
"The author received recognition by the 'Hon'ble President Of India'. His poems reach deep into the na...
ओह! यह छवि हमारे सामग्री दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है। प्रकाशन जारी रखने के लिए, कृपया इसे हटा दें या कोई भिन्न छवि अपलोड करें।
झील में तैरते मरालों के झुंड चेतना के रूही सुकून होते हैं । अम्मी ने मुझे बताया कि वे मोती चुगते हैं या फिर भूखे रहते हैं । मेरे लिए भूख कभी बासी नहीं होती वो आज भी मेरे जेहन में ताजा है । क्या तुमने कभी बया का नीड़ देखा? समुंदर कैसे बना? बचपन को सब पता है-जब सुनहरी चिड़िया ने अपनी चोंच जमीन पर दे मारी तो उसमें से सोता फूट पड़ा । चश्मे से सागर बह निकला ।
चलते-चलते जब साँस भरने लगे तो थोड़ा सुस्ता लिया कर, अम्मी कहती । सतत,अथक दहकाने भी जब जेठ की दोपहर में खेत जोते हैं तो थोड़ी देर मेढ़ में बैठकर सुस्ता लिया करते हैं लेकिन याद रखना वे सोते नहीं । अल्पविराम में कहीं न कहीं पूर्णता की टीस झलकती है, तो नींद न आना लाज़मी है ।
मैं भी मेढ़ पर बैठा हूँ ,दो किताबों के बीच ।आस पास से गुजरते लोग कहते हैं कि दहकाना सो गया । मात्र आँख मूंदने से नींद नहीं आती उसके लिए चेतना का अल्पकालिक मृत होना जरूरी है । मैं आँखों से सुनता हूँ द्वन्द-गीत- "बीज ठीक से बोया गया कि नहीं"? फसल उगेगी? क्या पंछी आएंगे दाना चुगने या मोती की आस में मराल भूखे ही रहेंगे ? क्या लोग पसंद करेंगे मेरी किताब पढ़ना ?
बेतरतीब पड़े घर में कोई रुकना नहीं चाहता । कुछ मुसाफ़िर आते हैं घर संवारने के लिए । सबका अपना अपना ज़ायका होता है, दरभंगा का सत्तू गरीबों का शाही भोज कहलाता है तो कोई नाक भौं सिकोड़ता है । कोई काज़ल लगाता है तो कोई सुरमा ,बात सिर्फ आंखों की तासीर की है ।
ओह! यह छवि हमारे सामग्री दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है। प्रकाशन जारी रखने के लिए, कृपया इसे हटा दें या कोई भिन्न छवि अपलोड करें।
अमूमन पढ़ते समय पाठक खामियां जरूर निकालते है ,लेकिन खामियां तो चाँद में भी होती है; ये तो महज़ एक क़िताब है । खैर, मेढ़ में लेटे लेटे मेरी चेतना पुनर्जीवित हो चुकी और अब मैं अपनी दूसरी किताब लिखने जा रहा हूँ । मुझे नहीं मालूम कितनी प्रतियां छपेगी । कुछ लेखकों की लाखों प्रतियां छपती है लेकिन उन्हें कोई नहीं पढ़ता और वे रद्दी कहलाती हैं । अगर सिक्के का दूसरा पहलू देखें तो एक मात्र अच्छी प्रति भी सैकड़ों लोग घुमा फिरा कर पढ़ लेते हैं । मुझे हेड और टेल से मतलब नहीं, अगर एक भी पाठक मेरी किताब को सहर्ष पढ़ लेगा तो मुझे खुशी होगी ।
मैं इस एक पाठक को अपने गर्वीले देश के बारे में बताना चाहता हूँ , मैं ये बताना चाहता हूँ कि मिट्टी की सौंध मेरे गांव में रहती है, कभी फागुन में आना मेरे देश , कभी सुनना- लोहिड़ी ।
अम्मी अकसर कहती है - सब बातें तो सब लिखते हैं ,लेकिन तुम लिखना रूह । हर किसी ने अपना घर बनाया और देखते ही देखते मेरा गांव बन गया । आज मैं तड़के ही उठ गया, आज मैं अपने खेत मे हल से एक रेखा खींचूंगा । एक नज़र मैंने अपनी मेज की ओर दौड़ाई- एक कोरा कागज़,मेरा पार्कर पेन, मेरी पसंदीदा स्कॉच और सिगरेट ।
अगर मैं अब भी अपनी किताब नहीं लिख सका तो फिर कब लिखूँगा?
ओह! यह छवि हमारे सामग्री दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है। प्रकाशन जारी रखने के लिए, कृपया इसे हटा दें या कोई भिन्न छवि अपलोड करें।
चूल्हा गर्म हो चुका है, केतली से भाप निकल रही है । मौसम सर्द है, ओस में से सूरज की किरणें झल रही है । कहते हैं कि इन दिनों पाला पड़ता है जो कभी धुंध का सबब भी होता है ।
मैंने इंतज़ार किया बसंत का और आज वो मेरे सामने पहाड़ों पर झूम रहा है । ओ मेरे प्यारे बसंत; जरा सुनो ,मेरे पास मेज है, तुम्हारे पास क्या है ? बसंत बोला मेरे पास नमक है, क्या तुम्हारे पास है? लेकिन मुझे तो आग चाहिए, क्या तुम दोगे मुझे? बसंत ने मुस्कान बिखेरी और मुझे गेहूँ छानने की छलनी दी । मैं विस्मय से देख रहा हूँ - वसंत ने मुझे सोने का मराल भी दिया और कहा ये मोती नहीं चुगता । अम्मी अकसर कहती थी- अल्पविराम में रुकना सीखो , मौन की आवाज गूँजती है वहाँ ।
***
♥╣[-_-]╠♥ Do u like my biography? Your feedback will improve me so please vote & comment. (◍•ᴗ•◍)❤