बिकता है इत्र बाजार में खरीदने के लिए
वो पास आकर बैठी हैं महकने के लिएइत्र लगा है लिबास में थोड़ी देर के लिए
उड़ जायेगा इत्र बिना इंतजार किए हुएइत्र से कई मित्र बने दिल चुराने के लिए
इत्र चंदन का था मित्र को फसाने के लिएशीशी भरी इत्र की हल्की से चिटक गई
बूंद बूंद इत्र बहा वो तो रास्ता भटक गईएक इत्र से जो सारा शहर महक गया
वो जो एक रात, मेरे शहर में ठहर गयाइत्र से भरा गुलाब तुम एक खास रखना
याद जब आऊं मेरा गुलाब पास रखनाप्रियंक खरे "सोज" ✍️
स्वरचित सृजन