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सर्वविदित सर्वशक्ति निहित है मेरे गुरुवर पर।
प्रेरणा-स्त्रोत बने हर मार्ग प्रशस्ति के तट पर।।निर्दिष्ट वचनों से ओत-प्रोत सर्वयुक्ति उन पर।
"सोज" का शत शत नमन समर्पण गुरुवर पर।।ब्रम्हगुरु जगत के ज्ञानी सत्य यथार्थ के वेश पर।
गुरु दृष्टि की छाया जन पर बिना ईर्ष्या द्वेष पर।।संग रहे गुरुवर निरन्तर हर विषम परिस्थिति पर।
गुरु सत्संग श्रोता गण सुने हर असम्भव क्लेश पर।।शक्ति विहीन जो जन समझे पहुंचे गुरु शरण पर।
पुनः प्रणाम इस "सोज" का नत मस्तक चरण पर।।
✍प्रियंक खरे 'सोज'