भाग २०

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पिछवाड़े की हालचाल

मेरी उंगली दोनों नितम्बों के बीच की दरार को हलके हलके सहला रही थी।

मुझे एक शरारत सूझी और ऊँगली की टिप सीधे गांड में प्रेस कर दिया , और हलके से उनके नमकीन गाल काटते बोली ,

" तुम मम्मी से तो शर्मा कर बच गए , मुझसे तो बता दो ,इसमें कुछ गया है क्या , कितनी बार। "

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" धत्त ,... " जोर से शरमाये वो।

" अरे यार इसमें शर्माने की क्या बात है , अब तक भी तो तुम इतने चिकने नमकीन लगते हो , जरूर बचपन में किसी न किसी ने यहाँ घुसाया होगा , बोल न। "

मेरी ऊँगली पिछवाड़े में गोल गोल घूम रही थी।

शरमाते हुए उन्होंने नहीं में सर हलके से हिलाया।

.......

मेरा एक हाथ उनके पिछवाड़े लगा हुआ था और दूसरा बहुत प्यार से उनके गाल को घने घने बालों को सहला रहा था। जैसे किसी लौंडिया के शलवार में घुसने के लिए लोग सहलाते है।

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मैंने फिर समझाया ,

" यार मान लो तुम ने मरवाया ,तो इसमें कोई बुरी बात थोड़े ही है ,कमल जीजू को तुम जानते ही हो , चीनू दी के हसबैंड , वो तो अभी तक , उन्होंने मुझसे खुद कबूला था की पहली बार उन्होंने एक लड़के के साथ , वो नौवें में थे और लड़का आठवें में , उसके बाद तो लगातार।

यहां तक की अभी भी , शादी के दो तीन साल हो गए हैं ,लेकिन शायद ही कोई महीना नागा जाता हो , जब वो दो तीन लड़कों की न लेते हों , और चीनू दी को भी मालूम है,वो बुरा भी नहीं मानती ।

यहाँ तक की चीनू दी की भी हर हफ्ते एकदो बार पिछवाड़े का बाज बज ही जाता है। "

फिर कुछ याद करते हुए मैंने कहा ,

" अरे यार वो तो तेरे ही स्कूल में पढ़ते थे , तुम्हे तो अच्छी तरह मालूम होगा। और फिर तुम्हारा स्कूल तो मशहूर था लौंडेबाजी के लिए ,कीते सीनियर थे "

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