भाग ५६

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मंजू

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सुजाता को छोड़ के जब हम घर पहुंचे तो मंजू बाई पहले से खड़ी थी , रात के बर्तन के लिए ,

पर मम्मी ने बोला की हम खाना बाहर खा के आये हैं ,

लेकिन मंजू बाई की आँखे तो बस उन को सहला रही थीं ,

" हे कुछ और माजना रगड़ना हो तो रुक जा , "

मम्मी भी न ,

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उन्होंने खुल के मंजू बाई को निमन्त्रण दिया और वो क्यों चूकती।

उतरते ही उनके चूतड़ पे कस के एक हाथ मार के मंजूबाई बोली ,

" अरे इस माल को रगडने माजने के लिए तो मैं एकदम रुकूँगी ,"

मम्मी तो कपडे वपड़े बदल के बाद में मैदान में उतरी , मंजू पहले ही , न उसने अपना कपड़ा उतारा न उन्हें उतारने दिया बस सीधे ,

एकदम जो कहते हैं न तसल्लीबख्श रिपयेर बस वही ,

" चल साले चाट मेरा भोंसड़ा ,देखती हूँ बचपन से माँ का भोसड़ा चाट रहा है मादरचोद ,कितना सीखा है ,

अगर बिना झाड़े हटा न तो तेरे पूरे खानदान की गांड आज रात मार के रहूंगी ,गांडू साल्ला। "

उनके कंधे को जबरन दबा के कमरे में जबरन फर्श पर बैठा दिया ,मंजू बाई ने और अपनी साडी कमर तक उठा के ,

उनका सर अपने रसीले खूब चूदे भोंसडे पर सता के उसने अपना इरादा जाहिर कर दिया।

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जब शुरुआत ही छक्के से शुरू हो तो मैं समझ गयी की आज की रात इनकी सब रातों पर भारी होगी ,आज तो एकदम डबल धमाका होने वाला है , मंजू और उनकी सास,

मैं आज मुकाबले से बाहर थी , मेरे ' वो वाले पांच दिन ' मेरी ' मासिक छुट्टी ' चालू हो गयी थी।

लेकिन देख तो सकती ही थी ,और देखने के साथ उनकी हिम्मत बढ़ाने के साथ मम्मी और मंजू बाई को उकसा भी रही थी ,

और एक दो बार मैंने उनकी 'रक्षा ' भी की लेकिन वो बात बाद में ,

अभी तो मैं देख रही थी किस शिद्दत से से वो मंजू बाई का भोंसड़ा चूस रहे थे , और उसमें उनसे ज्यादा हाथ मंजू बाई का था।

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