भाग ४१

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रात भर तड़पाऊंगी रज्जा

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और जैसे अपनी बात के सबूत के तौर पे जोर जोर से मॉम ने उनका खड़ा सुपाड़ा रगड़ा। खूब जोर जोर से ,

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उनके दामाद के चेहरे से लग रहा था की बस मस्ती से उनकी हालात खराब हो रही है ,लेकिन

कम तो छोड़िये प्री कम की भी एक बूँद नहीं निकली।

" रात भर तड़पाऊंगी रज्जा लेकिन झड़ने नहीं दूंगी समझे। "

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मम्मी की आवाज में जो सेक्स था ,और आवाज से बढ़कर उनके मम्मो का जादू ,मम्मी की ब्रा तो उनका मुंह बंद करने के काम में लगी थी।

बस उनके गदराये छलकते जोबन अब इंच भर भी दूर नहीं थे उनके तड़पते होंठो से।

पारदर्शी नाइटी का कवर भी अब खुला हुया था।

कुछ देर में मॉम मेरे साथ फिर पलंग पर बैठगयी थीं

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और अब उनकी स्टिलेटो सैंडल फिर से मैदान में आगयी।

मम्मी ने ,क्या कोई मथानी से दही मथेगा ,अपनी दोनों सैंडल के बीच

जिस तरह से उनके पगलाए लन्ड को वो रगड़ रही थी।

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और मैं खिलखिला रही थी ,हंस रही थी।

" तुम अब लाख कोशिश करो नहीं झड़ोगे और झड़ोगे तो अपनी मां बहन के भोंसडे में, "

माँ ने अपना फैसला सुनाया।

" चलो एक मौक़ा और ,अगर हम जब ग्रीन सिगनल देंगे तो भी ,जिस किसी के लिए भी ग्रीन सिंगनल देंगे उसी के साथ। "

मैंने हंस के सजा थोड़ी हलकी की

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,लेकिन एक बात मुझे कुछ साफ़ नहीं समझ में आयी और मैंने मम्मी के कान में अपना शक जाहिर कर दिया ,

" मम्मी आपकी समधन की बात तो ठीक है , मेरी ननद ,... भोंसडे वाली। वो बिचारी तो अब तक अनचुदी है अपने प्यारे भैया के लन्ड के इंतज़ार में। "

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