भाग ६

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बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं

अब तक

"तो बोल , आज से क्या है तू "

मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,

" जोरू का गुलाम "

कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं ,

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कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।

इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।

मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।

बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।

और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।

लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।

उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।

और जीत हम दोनों गए थे ,

वह मुझे और मैं उन्हें।

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आगे

ऊप्स , मैं तो भूल ही गयी थी , मुझे अचानक याद आया।

मैंने मोबाइल का एक नंबर दबाया ,हॉट नंबर। मेरी हॉट हॉट मॉम का , और उनकी आवाज सुनते ही, , मैंने फोन , उन्हें पकड़ा दिया।

जिस तरह वो शर्मा रहे थे , ब्लश कर रहे थे , अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहे थे ,

साफ लग रहा था की मम्मी कैसे जम कर उनकी रगड़ाई कर रही हैं।

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लेकिन एक एक बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे , कान पार के , और मैं सास -दामाद का ये संवाद बहुत ही ध्यान से सुन रही थी ,

अभी तो ये शुरुआत है मुन्ना।

और बात खत्म होते ही फोन उन्होने मुझे पकड़ा दिया , मुस्कराहट और ब्लश दोनों चेहरे पर अभी भी कायम थी।

" क्यों कैसा लगा अपनी मालकिन ,मेरा मतलब , मालकिनो से मिलकर। " मैंने छोड़ा।

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