भाग १७

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मेरी ननद ,उनका 'माल'

" तुझे तेरे भैय्या की रखैल न बनाया तो ,कहना "

मैंने सोचा

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और टीवी बंद कर मांम से बाते करने लगीं।

...........

वह लौटे तो एकदम थके हारे , पसीने पसीने।

जुलाई की उमस , बादल उमड़ घुमड़ रहे थे सुबह से लेकिन बरस नहीं रहे थे।

और वो भी पहली बार , बेड टी ,नाश्ता ,झाड़ू पोंछा ,बर्तन, खाना ,फिर टेबल साफ करने के लेकर बरतन और किचेन की सफाई।

बेड रूम में एसी फुल ब्लास्ट पर था , मैं एक हल्का कम्बल लपेटे , टीवी पे सीरियल देख रही थी।

'दरवाजा बंद कर दो ,आ आजाओ कम्बल के अंदर , एकदम थक गए हो थोड़ा आराम कर लो "

मैंने कम्बल हलके से उठा के उन्हें अंदर खींच लिया।

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कुछ देर में पसीना सूख गया था , और वो भी मेरे साथ अधलेटे , सीरियल देख रहे थे।

और एक कच्ची कली थी सीरियल में ,

उनकी निगाह बस उसके उसके छोटे छोटे टिकोरे पे ,

" एकदम तेरे माल जैसे ;लगती हैं न , उभार एकदम वैसे ही हैं न "

मैंने कंबल के अंदर उन्हें भींचते पूछा।

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उन्होंने हामी में सर हिलाया।

" हे सच बोल , कभी उसकी ली थी क्या सच बोलना मेरी कस्सम , मेरा मतलब अरे यार चुम्मी वुम्मी कभी ऐसे ही खेल खेल में ,चुपके से। "

उन्होंने मना कर दिया , सर हिला के लेकिन फिर खुद ही चालू हो गए जब मैंने पूछा ,

" अच्छा टच वच "

" बहुत हलके से बस एक बार ,'

अब वो धीरे धीरे खुल रहे थे। उनकी निगाह सीरियल की कच्ची कली पर ही थी।

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मैं चुपरही और उन्होंने रुक के बोलना शुरू कर दिया ,

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