भाग ७५

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मायके की ओर

भोर की पहली किरण अभी अलसा रही थी ,

पूर्वा ने अपने पैरों में महावर की लाली लगानी शुरू ही की थी ,

हम लोगों ने अपनी आगे की यात्रा की तैयारी शुरू कर दी ,

अजय ,कमल और रीनू को काठमांडू के लिए निकलना था ,रस्ते में दो दिन वो लोग पोखरा रुकते ,

और हम लोगों को इनके मायके।

लेकिन मैंने अजय और कमल जीजू से कसम धरा ली

लौटते हुए वो लोग हमारे यहां रुकेंगे और कम से कम तीन चार दिन।

और अगले पल हम लोग कार में उनके मायके की ओर ,

ड्राइव मैं कर रही थी , वो मेरे कन्धे पर सर रखे थोड़े ,थके अलसाये।

और ये मेरे बगल में थके , सुस्ताते ,आधी नींद में मेरे कंधे पर सर रखे ,

सड़क एकदम साफ़ थी , सुबह अभी ठीक से हुयी भी नहीं थी ,

बस कहीं कहीं सड़क पर बगल से साइकिल चलाते दूधवाले ,

इनका मायका तीन साढ़े तीन घण्टे की ड्राइव पर था ,

और मेरा दिमाग एक बार फिर पुरानी बातों में ,

इनकी मायकेवालियों की , खास तौर से इनकी उस छिपकली ममेरी बहन के कमेंट्स ,

जेठानी जी के ताने ,...

दूसरा कोई समय होता तो इस समय मैं वो सब सोच सोच कर काँप रही होती , घबड़ा रही होती , मन करता की न जाऊं इनके मायके ,

लेकिन ये अब खुद थे मेरे साथ ,

सबसे बड़ी बाजी अपने ससुराल में मैं मैंने जीत ली थी इन्हें ,

इनका बदला हुआ बिहैवियर , ऐटिट्यूड , पसंद , और नया मेट्रोसेक्सुअल लुक ,

मैंने कनखियों से इनकी ओर देखा ,

पिंक फ्लोरल शर्ट , वैक्स्ड लुक , परफ्यूम ,कानों में स्टड्स ,

और सबसे बढ़कर , टोटल क्लीन शेव्ड लुक , मूंछे सफाचट ,

जिसे इनकी वो छिनाल ममेरी बहन बार बार कहती थी , अरे मूंछे तो मर्द की शान होती हैं और ये भी ,

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