ज़िद मुझ में नही
पर प्यार में थी
पेहले पास आने की
फिर लौट ना आने की थीकैसा था वह प्यार
क्यों गुमराह हुए हम यू
मंज़िल तो दिल मे कब से बसी थी
रास्ता न ढूंढ सके हम क्योंप्यार रास्ते बनाता गया
मगर इन रास्तों ने ही
उसे छिन भी लियावो मुड़ी किसी मोड़ पर
हम सीधे चलते गए
वो हँसी बाटती रही
और हम आंसू समेटते रहेआसुएँ समेट न पाए
तो समंदर बन गया
वो तो तैरती रही
मगर हम डूबते चले गएडूबते रहे उस प्यार में
उसकी आँखों की उस गहराई में
मगर किसे पता था कि दिल का तूफान
हमे उजाड़ कर फेंक देगातूफान वह जुदाई का था
मौसम वह बिछड़ने का था
जिन आखों ने आसमाँ दिखाया
कसूर तो बस उन्ही का थाक्या कसूर चाहे किसी का भी हो
दोषी हमेशा प्यार ही था?नही नही, दोष किसी और का नही
दोष तो उन राहों का था
जब अलग ही करना था
तो मिलाया ही क्यों?***
Jamming session with a friend
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Rhyming Rhythms
PoetryLet the curtains rise Let the show begin Let the rhythms rhyme Even the audience is so keen What are you waiting for Open the mystery box Full of smiles and tears It'll make you dance on the rocks Yes, it'll make you sing along and dance... *** The...