हवा में अपने पर फैलाए
बैठा था वह वहां
मुंह में अपने निवाला दबाए
देख रहा था जहानसामने उसके था ढलता सूरज
अंबर को लगा रहा था अाग
नीचे उसके बिखरी थी सड़के
जिस पर लोग रहे थे भागन देख रहे थे वो कुदरत का करिश्मा
न देख रहे थे उसकी ओर
बस भाग रहे थे इधर उधर
बदलने अपने किस्मत की डोरउन सभी बौखलाहटो से परे
शान से बैठा था वह काला सा कौआ
बादलों से भरे आसमान के मंच पर
वह था बस एक काला सा धब्बाकाली थी चोंच
काले थे पंख
मगर दिल के उस भाग पर
बिखरे थे कुछ अलग रंगउसकी काली शान को फीका करने
कुदरत ने मिलाया था थोड़ा सफेद
ध्यान से देख ए लालची इन्सान
यही है उसमें और हम में भेदन है उसकी आँखों में लालच
न ही आसमान को छूने की आस
वो तो बस लौटना चाहे
शाम को अपने बच्चों के पाससूरज की आखिरी किरणों के साथ
गुम हो गया वह अंधेरे में
छोड़ गया मेरे लिए कुछ खयाल
बस गया मेरे शब्दों मेंवह, एक काला सा कौआ
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Rhyming Rhythms
PoesíaLet the curtains rise Let the show begin Let the rhythms rhyme Even the audience is so keen What are you waiting for Open the mystery box Full of smiles and tears It'll make you dance on the rocks Yes, it'll make you sing along and dance... *** The...