#शायरी

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बुझ जाती अगर प्यास तेरी मेरे बिस्तर पर आके,
फिर पहले बोल देती.. दिल लगाने की जरूरत क्या थी,
यूहीं गुलाम बन जाता तुम्हारे हुस्न का,
आशिक़ बनाने की जरूरत क्या थी,
प्यार की कद्र करती तो जन्नत मिलता तुम्हे,
ईश्वर को फिर पूजने की जरूरत क्या थी,
नशा तो यूहीं छाया रहता है तुम्हे देखने के बाद,
फिर शराब पिलाने की जरूरत क्या थी...
               - अंकित सिंह हर्ष

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