आंशू निकल आते हैं

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तुझमे डूबता हूं तो आँशु  निकल आते हैं ,
कहीं ठहरता हूं तो आँशु निकल आते हैँ,

कितना बताऊँ कितना चाहता था तुम्हे,
बस नाम भी सुनता हूं तो आँशु निकल आते हैँ,

याद नहीं, वो जिंदगी है मेरी, तेरे साथ बिताये साल,
खुदा अब और जिंदगी देता है तो आँशु निकल आते हैं,

वो बड़ी बड़ी आँखे जिसमे संसार देखता था अपना,
जब भी ठोंकर खाता हूं तो आँशु निकल आते हैँ ,  

झूमते झूमते यूँ तेरा बाहों में छुप जाना,
अब जब भी हवा को हाथ लगाता हुँ तो आँशु निकल आते हैं,

मुझे माफ़ करना...आईने ने साथ नहीं दिया मेरा,
अब कोई दोस्ती को हाथ बढ़ाता है तो आँशु निकल आते हैं,

बहुत प्यार करती थी तुम मुझे मैं जानता हुँ,
तेरे बिन मैं रोज रोज मरता हूं तो आँशु निकल आता है,

                            -अंकित सिंह हर्ष

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