दो क्षण

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ठहरो..दो क्षण के लिए ही सही आंखों में उतर जाओ,
कहीं डर तो नहीं कि कोई देख लेगा..देखने दो,
कोई देखेगा भी तो कुछ न कह पाएगा,
तुम जहां पहुंच चुकी हो वह कहां पहुंच पाएगा...

_अंकित सिंह हर्ष

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