#poem

4 1 0
                                    

अनजान होती जाती हैं अबतो सफर मालिक,
अब तो हर एक मंजर हाँफता नजर आता है,
पैर भागने को दौड़ता है बिना रूके,
दिल खौफ से काँपता नजर आता है,
मंजिल कहता है कुछ कदम और दौड़,
दिमाग धुर फांकता नजर आता है,
साँसे तान देती हैं कहीं भी चादर अपना,
सीना बाहर झांकता नजर आता है,
उम्मीद कहता है रूक मत,
हौंसला कहता है झुक मत,
बस एक एक कदम बढ़ाते जा,
आगे बढ़...मुड मत,
मंजिल भी सीस नवायेगा,
हे साथी!!!तू जो सरपट दौड़ लगाएगा....
                    _अंकित सिंह हर्ष

एक दास्ताँ इश्क़जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें