चलो आज मैं सर उठा कर देखूं,
देखता हूँ कितने सर झुकाते हैं,
अक्सर उनकी कोई हैसियत नही होती,
जो दूसरों को औकात दिखाते हैं...
-अंकित सिंह हर्ष
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एक दास्ताँ इश्क़
Poetryप्यार और दिल दोनों एक ही मंजिल के दो राह हैं.... दोनों के बिना इश्क़ मुकम्मल नहीं होता... #1 hindipoem on 1st Oct 2021 #3 india on 3rd Oct 2021 #4 dil mein on 26th march 2020 #4 poem mein on 16thsept 2021
#शायरी
चलो आज मैं सर उठा कर देखूं,
देखता हूँ कितने सर झुकाते हैं,
अक्सर उनकी कोई हैसियत नही होती,
जो दूसरों को औकात दिखाते हैं...
-अंकित सिंह हर्ष