#शायरी

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अब भी मासूम शक्ल किये बैठे हैं,
मेरे सीने में खंजर किये बैठे हैं,
दर्द पर साथ कराहते भी नही मेरे,
ना जाने किस जुर्म का हिसाब किये बैठे हैं...
             -अंकित सिंह हर्ष

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