पिछले चप्टर में आपने पढ़ा अर्पिता परेशान हो के घर आती है ,अपने मन को divert करने केलिए वो जब अपने रूम को सजाने जाती है तभी उसे उसका पुराना डायरी मिलता है,जो कि वो तब लिखती थी जब सरोज उसके ज़िन्दगी में नहीं था ।उसमे बस उसने अपने सपनों का राजुमार अर्पित का ज़िक्र किया है।अब देखते हैं ये अर्पित कौन है ।
"अर्पित" अब तक की कहानी में जितना भी बताया गया है सायाद कुछ लोगों को कन्फ्यूजन हुई होगी।
असल में अर्पिता के ज़िन्दगी में कोई अर्पित कभी था ही नहीं। "अर्पित"बस एक imagination है अर्पिता की।
वो बस imagine करती थी कि कोई अर्पित होता जो उसे बोहुत् प्यार करता।बस इतना ही नहीं उसने अर्पित के रंग,परिवार सबके बारे में सोचा है कि उसका अर्पित कैसा होगा उसके फैमिली कैसी होगी सब कुछ।ये बस उसकी बनाई हुई imagination थी ,और कुछ नहीं।और अर्पिता ने जिस वक़्त अपनी एक imagination बना कर उस imagination से प्यार करने लगी थी तब उसके कई दोस्त किसी और के साथ बस timepass कर रहे थे।तो अर्पिता ने सोचा किसी के साथ टाइम पास करने से तो अच्छा है अपने मन में ही किसिकी imagination किया जाए और उस से प्यार किया जाए ।अब अर्पिता ने ऐसा क्यों किया ये तो किसीको नहीं पता।अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई imagination से प्यार कर सकता है?तो मेरा मान ना यही हा की हां,प्यार का मतलब ये नहीं कि किसी एक इनसान से हो, प्यार कभी भी kisi से भी ही सकती है,चाहे वो इनसान हो imagination ,सब केलिए प्यार अलग अलग है,किसी केलिए साथ रहना प्यार है,तो किसी केलिए और से ही प्यार को देख के खुश होना प्यार है और किसिकेलिए उसे पाओ या ना पाओ उसके बारे में सोचना प्यार है।ये last वाला प्यार तो अर्पिता को हुए था अपनी imagination से।उसने तो बस अपने मन में एक अर्पित को बनाया और उसी से प्यार किया था। लेकिन वक़्त के बदलते उसे भी प्यार हुआ एक इनसान से और अब उसे पता चल गया कि वो जैसी थी अपने सपनों के राजुमार अर्पित को लेकर अच्छी थी,उसे पता चल गया कि इनसान से प्यार करो तो कितना दर्द होता है।अब उसने फिरसे फैसला करलिया की अब फिर्से वो अपने सपनों के राजुमार से ही प्यार करेगी और किसी से नहीं। हां थोड़ी भटक गई थी पर अब और नहीं ।लेकिन किसीको दिल में जगह दे दो ना भुला पाना इतना आसान नहीं।
अब चलते हैं वह जहां हमने कहानी सुरु की थी।
अब अर्पिता 23 साल की हो गई है ,पर आज भी छोटी बच्ची की तरह ही है उसका दिमाग , बच्चो की तरह बाते ,बच्चो की तरह behave सब कुछ बच्चो की तरह करती थी। हां जब सरोज था उसके लाइफ में तो थोड़ी बदल गई थी लेकिन अब फिर से जैसी की वैसी ।अब वो graduation खतम करके पीजी कर रही थी।फिर भी बचपना नहीं गया था ।कभी कभी उसकी दादी मजाक में कह देती थी कि ,"पता नहीं किस ससुराल में कैसे ज़िन्दगी बीत पाएगी ये लड़की!"तब अर्पिता मुंह फुआला कर बैठ जाती थी और कभी कभी ये सोच कर परेशान ही जाती थी कि जब उसकी साड़ी होगी तब उसे कहीं अपने सपनों के राजकुमार अर्पित को छोड़ ना न पड़े।क्या जो कोई भी उसके जीवन में आएगा वो उसे अर्पित जितना पुर कर पाएगी ,क्या वो जितना प्यार चाहती है अपने अर्पित से उसे अपने पति से उतना प्यार मिलेगा? कभी कभी यह सोच कर परेशान होती थी और कभी हस्के ज़िन्दगी जीती थी जैसे उसे कीसिकी जरूरत ना हो।
एक दिन अर्पिता ने एक सपना देखा ,जिसमें वो फूलों कि बगीचे में बैठी है और एक गोरा लड़का आकर उसके सामने खड़ा हो गया ।अर्पिता ने उसको देखा और देखती ही रह गई।अब वो कुछ कहती उसकी नींद अचानक किसी आवाज से खुल गई ,तब उसने देखा कि उसकी मां ने batroom का दरवाजा दिया जोर से😅।अर्पिता को गुस्सा आया पर वो कुछ नहीं कहा पाई बस यही सोचा कि ये मा भी ना ,अभी ही इसे बाथरूम जाना था😒।कितना अच्छा सपना था😟 पता नहीं अब ऐसा सपना कभी आएगा या नहीं। अब वो दो दिन तक उसी सपने में जिसे देखा था उसके बारे में सोचने लगी,"हाए!कितना सुन्दर था,कितना cute सा था,😍" और कुछ सोचती तब फिर से उनकी काम बली ने बर्तन गिरा दिए 😂,बर्तन की आवाज से फिर से उसकी भावना खतम हो गई ,वो चिड चीड ही कर वह से चली गई अपने कमरे में।
फिर से एक दिन उस सपने के बारे में सोच सोच कर जा रहि थी तभी वो अपने पापा से टकरा गई 😅,"अरे!अब क्या होगा?"अर्पिता पापा को देख के घबरा गई,पर उसके पापा जल्दी में थे उसने कुछ नहीं कहा। ऐसे ही जब वो उस सपने के बारे में सोचती थी तब कुछ ना कुछ ऐसा हो जाता था जिस से उसकी absent mind, present में आजाती थी😝 ।
अब अगले chapter में देखेंगे आगे क्या हुआ।कौन था वो सपनों का राज कुमार?