22 चोरी पकड़ी गई 😝

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पिछले पार्ट में पढ़ा  था कि अर्पित को सरोज के बारे में पता चलता है ,उसे बुरा लगता है कि उसने अर्पिता के साथ फिर से बुरा बर्ताव किया ।उस दिन अर्पिता का जन्म दिन भी था ।वो अनन्या के घर आई थी ,अर्पित उसे छोड़ ने जाता है और रास्ते में  एक बड़ीचे के अंदर गुलाब दे कर propose कर ता है।अर्पिता भी propose करती है और दोनों अर्पिता के घर केलिए निकल ते वक़्त अन दोनों को बगीचे का guard देख लेता है और अर्पित को फाइन देनी पड़ती है।अब आगे :-
       अर्पित फाइन भर ने के बाद वो दोनो अर्पिता के घर के लिए निकल ते हैं।अर्पिता को बहुत सर्म आ रही थी , पर खूब भी थी । उसने पहली बार किसी के मुंह से अपने लिए "I love you" सुना है ।जब अर्पिता अपने ख़यालो में डूबी हुई थी अर्पित ने उसे ख़यालो कि दुनिया से बाहर ला कर बाइक में बैठ ने को कहा।अर्पिता भी बैठ गई।आज वो बहुत खुश लग रही थी,मानो उसकी ज़िन्दगी ने एक नया मोड़ ले लिया है, रास्ते भर वो सोच ती रही को आज जो हुआ किया हकीकत था।उसने जब से अर्पित को देखा उसे तो लग ही रहा था कि अन दोनों के बीच कुछ तो  होगा वर्ना अर्पित को लेकर इतने सारे coincidence नहीं होता।अर्पिता ने सुना था कि coincidence होने के पीछे कुछ तो राज होता है।आज उसे पता चल गया कि अर्पित और उसके बीच जो सारे coincidence हुए थे उनकी बजह ये था कि एक ना एक दिन अन दोनों को प्यार होना ही था।उसने जैसे अर्पित को एक दिन imagination में बनाया था वैसे  ही अर्पित को भगवान ने पहले उसके बना दिया था और सिर्फ उस केलिए ही बनाया है अर्पित को।अर्पिता ये सब सोच ते सोच ते कब घर के सामने आ कर पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला। "अर्पिता! उतर जाओ गाड़ी से घर आ गया है तुम्हारा।" अर्पित ने कहा फिर भी अर्पिता को सुनाई नहीं दिया ,वो तो बस ख़यालो में खोई थी।अर्पित फिर से जब जोर की आवाज़ दे कर उसे बुलाता है और अर्पिता अपनी भावनाओं से बाहर आती है।अर्पिता अर्पित को घर के अंदर बुलाती है लेकिन अर्पित साम को  पूजा में आयेगा कह कर चला जाता है।
         धीरे धीरे समय बीत ता जा रहा था।अर्पिता को साम का इंतज़ार था या फिर काहे तो अर्पित का इंतज़ार था।उसने आज सारे प्रसाद अपने हाथों से बनाई थी ।आज वो बहुत ही ज्यादा खुश थी।आज अर्पिता नहीं सोच पा रही थी कि वो क्या पहने।तभी अचानक से उसने सोचा कि वो एक black colour कि सारी पहनेगी।वो जब तयार हो कर नीचे आ रही थी तभी किसी ने पीछे से उसके आंखो को बंद कर दिया।अर्पिता हैरान हो गई की को हो सकता है,तभी अर्पित उसके कानों के पास आके धीरे से कहता है"में हूं, डरो मत" अर्पिता अर्पित की ऐसी हरकत देख के सर्मा गई ,अर्पित ने पूछा," अच्छा तो तुम ने मेरी पसंद की लड़की को देखा नहीं ना ,चलो दिखता हूं तुम्हे।"अर्पिता हैरान रह गई को अर्पित ऐसी बाते क्यों कर रहा है? ,उसने तो अर्पिता को प्रपोज कर दिया है अब कौनसी लड़की के बारे में बात कर रहा है? अर्पित तभी अर्पिता को आईने के सामने ले गया और कहा," देखो! मेरी दिल कि रानी तुम से भी ज्यादा सुंदर लग रही है आज।ये black कॉलर कि सारी तुम पर बहुत जच रही है अर्पिता!" अर्पिता थोड़ा मुस्कुराके नीचे चली जाती है और पूजा में बैठ ती है।पूजा खतम होने के बाद सबको प्रसाद देती है।सब प्रसाद खा के खुश हो जाते हैं।अब सब जाने को निकल ते हैं।अर्पित को मन था कि थोड़ी देर और रुकजायेगा अर्पिता के पास ।इसलिए वो बहाने ढूंढ रहा था और अर्पिता को बार बार इसारे कर रहा था कि उसे रुक ने को कहे ,लेकिन अर्पिता जन बुच कर उस और भी परेशान कर रही थी।अर्पित और अर्पिता की हरकतों से किसीको पता चले या ना चले दादी को पता चल ही गया कि इन दोनों के बीच कुछ तो बात है। इसलिए अर्पिता की दादी संगीता देवी ने सुलोचना जी को पास बुलाया और कुछ दोनों कुछ फूस- फूस होने लगीं।उसके बाद  संगीता देवी ने सबसे कहा ," अब तो सारे मेहमान जा चुके हैं, यहां तो हम दो परिवार ही है,तो आज में एक ज़रूरी बात करना चाहती हूं,हम दोनों परिवारों ने अर्पित और अर्पिता दोनों को सादी केलिए पूछा था ,लेकिन इन दोनों ने सादी केलिए मना कर दिया था ,तो अब हम ये सोच रहे हैं कि..."ये बात सुन कर अर्पित और अर्पिता दोनों घबरा गए ,कहीं इन दोनों की सादी अलग अलग जगह तय तो नहीं हो गई,दादी की बातों से तो ऐसा ही लग रहा था। संगीता देवी ने अपनी अधूरी बात को पूरा करते हुए कहा," तो अब हम सोच रहे हैं कि इन दोनों की सादी करदे।" अर्पित और अर्पिता ने सुना तो लेकिन समझा नहीं ,उन्हें लगा कि सच में ये लोग इन दोनों की सादी अलग अलग जगह पर करने वाले हैं।दादी ने फिर से कहा," क्यों सब रजी हो ना अर्पिता और अर्पित कि सादी केलिए?एक दिन था जब ये दोनों एक दूसरे को पसंद तक नहीं करते थे ,लेकिन आज ये दोनों इसरो इसरो में बात कर रहे हैं और इन्हें लगता है कि कोई नहीं जान सकता ,लेकिन मेरी इन आंखो को सब दिखाई देता है।" सब हस ते हैं।अर्पित और अर्पिता अब समझ ते हैं कि बात इन दोनों की सादी करवाने की हो रही है और दोनों ही सर्मा जाते हैं।अर्पिता जब सर्मा के अपने कमरे में का रही थी अनन्या ने उसको अटकाया और ला के अर्पित के पास ही खड़ा कर दिया। आए हाए!क्या खूब लग रहे थे दोनों साथ में।लेकिन दोनों को बहुत सरम आ रही थी कि वो दोनों चोरी चोरी प्यार करने से पहले ही पकड़े गए हैं। ।अब सुलोचना जी अर्पित से पूछती हैं,"क्यों अब मेरी पसंद की लड़की ने तेरा दिल जीत ही लिया ना?"अर्पित और भी सर्मा जाता है।दूसरी ओर दादी अर्पिता से कहती है,"देखा ना मेरी पसंद के लड़के को तुमने सादी कर ने से इन्कार कर दिया लेकिन किस्मत ने तुम्हे उसे है लेके दिया।"सब इन दोनों की रिश्ते में राजी हो जाते हैं।पर अर्पिता के पापा इस रिश्ते केलिए "हां" तो करते हैं,लेकिन उनके मन में कोई संकोच था ऐसा लग रहा था।पता नहीं क्यों?लेकिन बेटी के खुशी में ही बाप की खुशी इस बात को मान कर वो अर्पित और अर्पिता के रिश्ते को मंजूरी देते हैं ।
       अब अगले पार्ट में देखते हैं कि क्यों अर्पिता के पापा के मन में संकोच है।क्या वो नहीं चाहते अपनी बेटी की सादी अर्पित से करने ?

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