पिछले चप्टर में पढ़ा था कि अर्पिता को पता चल जाता है कि अर्पित कौन है ।और वो परेशान हो जाती है कि अर्पित से रिश्ते की बात भी मना कर दिया है उसने।अब क्या करेगी आगे देखते हैं।
अर्पिता जल्दी से रंजीता को फोन लगती है और उसे सारा मामला बता ती है।रंजीता ने कहा ,एन पहले ही कहा था तुझे तूने ही नहीं मानी मेरी बात,अब पछता,खेर रुक में कुछ सोचती हूं,अच्छा तू जाके दादी से केहेडे की तूने बोहुर सोच ने के बाद अब राज़ी है।"अर्पिता "हां" कह कर सो जाती है।
अगली सुबह फिर से 8 बजे अर्पिता उठी वो भी दादी कि बुला ने से।उसका बाद फ्रेश हो कर नाश्ता किया ,उस समय वो दादी से कहना चाहती थी कि वो 8स रिश्ते केलिए राज़ी है।तभी वो देखती है सब लोग आज अजीब से बर्ताव कर रहे हैं। दादी दादा को देख रही है दादा पापा को और पापा उसकी मा को।उसे ऐसा लगा कि ये लोग उसे कुछ कहना चाहते हैं पर कहा नहीं पा रहे हैं।वो तो पहले से ही परेशान थी अब इन लोगो की ये है बर्ताव देख के और भी परेशान हो के वहां से का रही थी।तब दादी पीछे से बुलाती है अर्पिता को अपने पास बैठा ती है और कहती है,"बेटा तू तो जानती है कि नदी कहा भी जाए उसका आखरी मंजिल सागर ही होता है वैसे ही नारी जितना भी स्वाधीन हो,जितना भी काबिल ही लेकिन उसकी भी एक मंजिल होती है, उसकी भी एक ना एक दिन एक पुरुष से मिलना होता है,देख में ये नहीं कहा रही की नारी स्वाधीन नहीं हो सकती लेकिन एक इनसान ऐसा भी अता है एक नरिंकी ज़िन्दगी में जिसके अधीन में नारी खुद रहना पसंद करती है,अगर नारी खुद एक इनसान के अधीन रहना चाहेगी तो वो कैसी पराधीनता,देख में ये नहीं कहा रही हूं कि नारी को पुसरस के समक्ष झुकना चाहिए बल्कि पुरुष और नारी दोनों को ही एक दूसरे के समक्ष झुकना चाहिए।"अर्पिता अब थोड़ी थोड़ी समझ पा रही थी कि दादी क्या कहना चाहती है।दादी ने अब असली बात सुरु कर दी,"बेटा में जानती हूं तू अभी सादी नहीं करना चाहती पर एक बार सोच इस रिश्ते के बारे मैं,तुझे पता है कल रात उनका फोन आया था ,वो लोग लड़के को लेकर कल आ रहे हैं।" दादी से ऐसी बाते सुन कर अर्पिता के होस उड़ गए।दादी ऐसी क्यों बात कर रही है ।क्या सछ्मे अनन्या का भाई आयेगा या फिर कोई और।अर्पिता ने दादी से पूछा कि वो लड़का कौन है और क्या करता है और उसका नाम ।दादी ने कहा "अरे !इतनी जल्दी क्यों हम थोड़ी ना रिश्ता पुक्का कर रहे है।हम तो बस तुम दोनों को मिला रहे है। पसंद आया ती ठीक अगर पसंद ना आया तो माना कर देना।और उसका नाम ठिकाना उसी से पूछ लेना" ऐसा कहा के दादी चली गई वहां से।अर्पिता के में में दिन भर ये सवाल था कि वो लड़का आखिर है कौन?क्या वो आचमे अर्पित है या कोई और? ऐसी खयाल में उसकी पूरा दिन के साथ साथ रात भी बितगई ।उसे तो अगली सुबह का इंतजार था।
अगली सुबह अर्पिता जल्दी से उठी और फ्रेश हो गई ।दादी ने उस नाश्ता बना ने को कहा। अर्पिता ना नाश्ते में आलू के पराठे बनाए थे।जब उसका मस्ता बनाना खतम हो गया वो हात धो रही थी तभी किसी ने आके पीछे से उसकी आंखे बंद कर दी।वो चौंक गई जब पीछे मुड़के देखा अनन्या खड़ी थी। वो हैरान थी कि आज अनन्या कैसा बिना फोन किए चली आई।तभी उसके देखा की अनन्या की मा भी खड़ी है वहां।अर्पिता ने जाके उनके पैर छुए ।लेकिन उस कुछ समझ नहीं आ रहा था।उसने सोचा चलो देखती हूं की कहीं अर्पित आया है या नहीं।वो जाकर देखती है पर उसे अर्पित कहीं नजर ही नहीं आता।उसने सोचा ,"अच्छा वो लड़का कोई और है जो आज मुझे देखने आयेगा।अगर अर्पित होते तो वो आ जाते ,अपनी मा और बहन के साथ।" अर्पिता कुछ ना कहके किसी से अपने कमरे में चली गई। वहां पर उदास बैठ कर उसने खिड़की के बाहर देखा।उसने देखा एक चाट पे दो कबुतर बैठे हैं पर दोनों अलग अलग बैठे है ।तभी एक कबूतर जब दूसरे के करीब अता है ती दुसा उस से दूर चला जाता है।थोड़ी देर बाद जब पहला दूसरे के पास आता है तो दूसरा भी थोड़ी दूर मुंह फुलाकर चला जाता है।अब उसे अपनी हालत याद अती है,जब दादी ने उस अर्पित से रिश्ते की बात कही थी अर्पिता ने खुद माना कर दिया था अब जब वो चाहती है तो अब कुछ नहीं हो सकता सायाद।तभी अचानक से वो देखती है कि वो पहला तोता फिर से आता है उसके पास।और वो दोनों एक साथ थोड़ी देर बैठ कर एक साथ उड़ जाते हैैं। अर्पिता कुछ सोचती अनन्या आ जाती है।और उस कहती है ,"दीदी आज आप एक सारी पहनो ना?बोजुट अच्छी लगती हो सारी में।"अर्पिता उसकी बात को माना नहीं कर पाती।अर्पिता एक अच्छी सी सादी निकल कर पहनती है और अनन्या के साथ फोटो लेती है।अब वो दोनो फिर से बातों में लग जाते है।तभी मा नीचे बुलाती हैं।अनन्या अब अर्पिता को लेकर नीचे आ जाती है।अर्पिता नीचे जाकर जब अर्पित को देखती है उसके होस उड़ जाते हैं।अर्पित black colour की शर्ट के साथ blue कॉलर का जीन्स पहन था।गोरे रंग पे ये डार्क कलर्स ना उनकी गोरे रंग को और भी ज्यादा निखार ती है। हाए!अर्पित तो हू ब हू अर्पिता के सपने की अर्पित लग रहा था। अर्पित को देख अर्पिता क्या कहेगी कुछ समझ नहीं पा रही थी।तभी उसने मार्क किया की अर्पित भी उस की तरफ देख रहा है।
अब अचानक से अनन्या ने कह दिया कि,"दीदी ये मेरे भाई हैं "अर्पित" और भया ये अर्पिता दीदी हैं। "अर्पित ने और कुछ ना कह बस "हां" कहा दिया। अर्पिता तो कब से एक ही चीज की इंतजार में थी कि कब अर्पित को वो हकीकत में देखेगी और उसकी आवाज़ सुनेगी ।आज वो सपना पूरा होते हुए देख कर उसके बिना जाने उसकी आंखो से खुशियों के आंसु निकल गई,अर्पिता ने जब महसूस लिया की वो तो रही है तब उसने धीरे से अपने आंसु पोछ दिए। अर्पिता ने देखा कि दादी जिस लड़के की बात कर रही थी वो लड़का आया ही नहीं अर्पिता को देखने।अर्पिता में ही में अच्छा हुए सोच रही थी। वो अर्पित के सामने तो गई लेकिन क्या बात करेगी उसे समझ ही नहीं आ रहा था।वो भी चुप थी और अर्पित भी।
अब इन दोनों के बीच कुछ बाते होने वाली तो नहीं थी।अनन्या ने ही सुरु कर दी,"भेया आपको पता है,दीदी मा बोहीत अच्छी खाना बनती हैं,एक बार कोई खाए तो तारीफ कर के ही मानेगा" ये भी कोई बात थी,ये पहली अनन्या ने भी ना कैसी बात सुरु की है।अब अर्पित थोड़ा मुस्कुराया और कहा,"अच्छा!ऐसी बात है ,पर मुझे कैसे पता चलेगा ,मुझे पहले बना के दे उसके बाद में कुछ कहूंगा"।अर्पिता ये सुन कर सर्मा गई और बोली ,"बताइए आप क्या कहना पसंद करेंगे में बनादुंगी।" अर्पित उसकी आवाज़ सुन कर थोड़ी देर चुप रहा सयाड वो कुछ सोच रहा था।अचानक से अनन्या ने अर्पित को ख़यालो कि दुनिया से बाहर निकाल ते हुए कहा ,"भया !दीदी कुछ पूछ रही हैं।"अर्पित ने कहा ,"हैं मैने सुना ,मुझे क्या तुम हलवा बनाकर दोगी?" अर्पिता ने कहा ,"इतनी सी बात अभी बनाकर लगी हूं" तभी अर्पित उसे रोक ता है और कहता है कि वो मजाक कर रहा था अभी कुछ नहीं कहेगा ।फिर भी अर्पिता जाना कहती थी हलवा बनाने पर अर्पित उसे रोक देता है और कहता है ,"अभी नहीं फिर कभी,अभी बैठो थोड़ी देर बात करते हैं।"अर्पिता की तो मानो अब होस ही उड़ गए।
अब अगले पार्ट में देखते हैं क्या होता है आगे।