पिछले पार्ट में पढ़ा था अर्पित अर्पिता का एक बेटा होता है जिसका नाम अर्पन रखा जाता है।अनन्या को भी एक बेटा होता है जिसका नाम आदित्य रखा गया।आराध्या की बेटी का नाम अपर्णा रखा गया था।सब बड़े हो कर अपने अपने लाइफ में सेटल हो चुके थे।बस बात थी उन लोगो की सादी कि। अब आगे:-
अब सारे बचे बड़े हो गए थे ।सबकी सादी का उम्र हो गया था।अर्पन ने अपने इच्छानुसार एक सुंदर लड़की से सादी किया जिसका नाम तनाया था ।लेकिन वो लड़की बिहुत ही ज्यादा आजाद खयाल कि थी।कुछ दिन अच्छे से तो बीते लेकिन बाद में उस लड़की को अर्पित और अर्पिता से problem हो ने लगी।अर्पिता ने फिर भी तनया को अपनी बेटी कि तरह देखा, उसने ऐसा प्यार दिया तनया को जैसा प्यार सुलोचना जी देती थी उसे।फिर भी तनया का मन बिगड़ा हुआ था।एक दिन अर्पिता ने तनया को अपनी मा से बात करते हुए सुना।वो कह रही थी कि वो अपने सास- ससुर की सेवा करना ही नहीं चाहती।अर्पिता के पैरो तले से जमीन फिसल गए।उसने अर्पित से जा के कहा कि वो दोनों वापस मुम्बई चले जाएंगे अपने घर। अर्पित ने बिना कोई कारण पूछे हां कह दिया क्यों की वो जनता था कि अर्पिता जो कुछ कर रही है सोच समझ कर कर रही है, और दोनों अगले दिन निकलने वाले थे।अर्पन ये सब देख अर्पन हैरान हुआ।अचानक उसके Mom-Dad कैसे जाने को तैयार हो गए।लेकिन तनया मन ही मन खुश हो गई।अर्पिता ने जाते वक़्त अर्पन से कहा ,"बेटा!जब मा की जरूरत हो तब बुला लेना तेरी मा जल्दी आ जाएगी।" अर्पन अपने मा के गले लग कर रो पड़ा।अर्पिता ने उसे समझाया और अर्पित का हाथ पकड़ कर वहां से चली आई।
वो दोनो जब मुंबई पहुंचे पहले कुछ दिन तो रहने में परेशानी हुई क्यों की घर में कोई न होने से घर गंदा हो गया था।लेकिन कुछ दिन बाद अर्पित और अर्पिता ने मिलके उस घर की सफाई की और आराम से रहने लगे।कभी कभी अर्पन फोन तो करता था लेकिन कभी भी मुंबई आया नहीं था उन दोनों से मिल ने।एक दिन अर्पित ने बाते करते हुए अर्पिता से कहा ,"तुम्हे याद है कैसे मेने तुम्हे प्रपोज किया था।"अर्पिता ने कहा,"जी हां याद है,और भी याद है कि कैसे पहले अपने मुझसे सादी करने से मना कर दिया था, कैसे सादी के बाद मुझे बिना बताए आप एक बार बंगलौर चले गए थे।"अर्पित कहता है," पगली! तुम्हे सब याद है।"दोनों हस्ते हैं।बीच में अर्पित फिर से बोल ता है कि ,"मुझे पता है कि तुम ने बंगलौर से बपस मुंबई आने को क्यों सोचा।" अर्पिता कहती है ,"अच्छा ठीक है अब वो सारी बाते भूल जाओ अब हम दोनों खुश हैं।हमे तो बस एक दूसरे के साथ ही रहना था।"दोनों बड़े आराम से ज़िन्दगी जी रहे थे।एक साथ morning walk जाते थे,एक साथ खाना खाते थे ,कभी कभी एक साथ खाना बना भी लेते थे और कभी कभी बच्चो की तरह खेलते भी थे।अब वो दोनो एक दूसरे का सहारा बन गए थे।एक दिन अर्पन का फोन आया पूरे एक महीने बाद।अर्पन ने कहा कि तनया pregnent है।अर्पित और अर्पिता खुशी हो गए थे,उन्हें लगा कि अर्पन उन्हें बुलाएगा फिर से अपने पास।लेकिन अर्पन ने ऐसा नहीं किया बल्कि अर्पन ने कहा दिया की वो अकेले मैनेज कर लेगा।अर्पित और अर्पिता को बुरा लगा।अर्पिता रो ने लगी।अर्पित ने उसे साइन से लगाकर कहा,"रो मत ! सोच लो यही हमारे किस्मत में था,आगे जो होगा देखा जाएगा।"
देखते देखते 1 साल बीत गए ।अर्पन को एक बेटी हुआ था और वो 3 महीने की हो चुकी थी।अर्पित और अर्पिता ने सोचा कि अर्पन अब उन्हें बुलाएगा अपने पास क्यों कि तनया की बचा संभल ने में और ऑफिस जाने में परेशानी हो रही होगी।लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन दोनों को मानो कि अर्पित और अर्पिता कि कोई जरुरत ही नहीं थी।आज अर्पिता को अपने सास कि बहुत याद आ रही थी।जब अर्पिता नई बहू थी सुलोचना जी ने उसे बहुत support किया था।वो भी सुलोचना जी के बिना पहले पहले कोई काम अच्छे से कर नहीं पाती थी।उसे हर वक़्त सुलोचना जी का support चाहिए था और उन्होंने भी support किया था।आज पता नहीं क्यों अर्पित और अर्पिता बातें करते वक़्त अपने पूर्वजों की याद कर रहे थे
और दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर सो गए थे।
उस तरफ तनया को बच्चा संभाल ने में और ऑफिस जाने में तकलीफ हो रही थी।उसने पहले ही अपनी गलती समझ किया था और अपने सास - ससुर को अपने पास लेना चाहती थी।इसीलिए अर्पन और तनया दोनों मुंबई केलिए निकले थे।जब वो घर के पास पहुंचे उन्होंने देखा कि घर के सामने भीड़ जमा है।एक आदमी ने आके उसे पूछा कि क्या वो अर्पित और अर्पिता का बेटा है? अर्पन ने हां कहा।तभी उस आदमी ने कहा कि वो सब उसको ही बुलाने बाले थे।आज सुबह सुबह जब वो लोग अर्पित से मिल ने आए थे उन लोगो ने देखा की अर्पित - अर्पिता एक साथ एक दूसरे का हाथ पकड़ कर सो रहे थे।लेकिन बाद में पता चला कि वो दोनो अब इस दुनिया में नहीं रहे।ये बात सुन कर अर्पन कि पैरो तले से जमीन फिसल गई।वो अपने आप को संभाल नहीं पाया।उसने सोचा कि क्यों पहले वो नहीं आ पाया अपने Mom-Dad को देखने।
सारे क्रिया खतम होने के बाद अर्पन ने मुंबई के उस घर को बेच दिया और वहां से चला गया।फिर किसीने भी अर्पन को नहीं देखा था वहां।
अर्पित और अर्पिता ने एक दूसरे का साथ निभाने का वादा किया था ।दोनों ने वादा निभाया। साथ निभाते निभाते एक साथ चले गए उस पार।
अब "अर्पित की अर्पिता" की ये कहानी इस पार्ट में खतम हो ती है।
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