पिछले चाप्टर में पढ़ा था कि अर्पिता को सरोज और liza के बारे में पता चलता है,उसके बाद अर्पिता सरोज के बारे में सोच ते समय कब रंजीता का फोन cut हो जाता है जान नहीं पाती ।उसके बाद फोन म वो facebook देखती है ।और अचानक से shock हो जाती है।अब देखते हैं कि क्यों अर्पिता shock हो गई।
अर्पिता mobile म कुछ देखते देखते चौंक गई ।वो जब facebook में friend requests और suggetions check कर रही थी ,तब उसने देखा एक लड़के को।जिसको पहले भी देखा था ,पर उस दिन अच्छे से देख नहीं पाती थी क्यों की रंजीता का फोन आ गया था ।आज उसको खुद की आंखो पर भरोसा नहीं हुआ।उसने जिस लड़के को देखा वो लड़का हू- ब - हू उस लड़के के जैसा दिख रहा था जिसे अर्पिता ने सपने में देखा था ।वहीं रंग ,वहीं आंखे , वही नाक ,वहीं होठ, अर्पिता को भरोसा ही नहीं हुआ कि ऐसा इनसान क्या सच में है।वो बस उसको ही देखते रह गई ।तभी उसने उसका profile खोल के देखा ,उसकी याद आया कि उसने उस लड़के का नाम नहीं देखा है,वो जल्दी से उसका नाम देखा।नाम को देख के उसकी होस उड़ गई।उसने फिर से जो देखा उसको अपनी आंखो पर भरोसा नहीं हुआ।उस लड़के का नाम "अर्पित शाह"था और वो एक software engineer था।अर्पिता को फिर से झटका लगा।ऐसा लगा उसको की उसकी सपने पूरी होने वाली है।उसको उसकी अर्पित मिल गया।लेकिन उसने कभी हकीकत म उसे नहीं देखा है।क्या होगा अब?क्या सच में ये अर्पित उसकी ज़िन्दगी में आएगा?क्या यही अर्पित उसकी सपनों का राज कुमार है? यही सोच सोच कर उसकी आंखों से खुशियों के आंसु निकले।ऐसी आंसु कभी भी नहीं निकला होगा उसकी आंखो से।उसे अब पता चला कि Saroj क्यों उसकी ज़िन्दगी में नहीं आया।अगर Saroj आ जाता तो अर्पिता अपनी सपनों के राज कुमार अर्पित को पूरी तरह से भूल जाती जैसे भूल गई थी 3 साल तक।आज उसको ऐसा लगा कि उसके सपनों का राजकुमार साचमे उसके सपनों में आया था और अब हकीकत म भी आयेगा उसे लेने।यही सब सोचते वक़्त मा ने अर्पिता को बुलाया।और अर्पिता चली गई मा को हेल्प करने।पर उसका ध्यान काम में ना था बस उस लड़के पे था।ऐसे ही उसका पुआर दिन बीत गया ।अब पूरा दिन यूं ही बेचैनी से बीती।अब जब रात हुआ तो अर्पिता सोने गई पर उसे नींद नहीं आया।उसने सोचा थोड़ी डर छत पे जाके घूम के आयेगी तो अच्छा लगेगा।वो छत पे चली गई। बसन्त की ठंडी हवा के साथ पूर्णिमा की चांदनी,नज़ारा तो बोहत अच्छा था।चांद की रोशनी चारों तरफ गिर रही थी छत की चारो तरफ ऐसे लग रहा था मानो किसी ने silver की carpet बिछा दिया हो।ऐसा नज़ारा अर्पिता को बीएसीपीएं से ही पसंद था।हर पूर्णिमा की रात को वो थोड़ी देर ही सही चांद को निहार ती ज़रूर थी। अचानक से उसे याद आया कि जिस लड़के को उसने सपने में और facebook में देखा था,उसने सोचा फिर से उसको एक बार देखेगी।अब उसने अपना phone खोला सीधे फेसबुक में चली गई और उस लड़के की प्रोफाइल search करने लगी।उसने जब उसे फिर से देखा तो उसके दिल में कुछ महसूस हुआ।ऐसा लगा कि इस लड़के को वो पहले से ही जानती है।उसने दिमाग लगाया ये याद करने को की उसने उस लड़के को कहा देखा है,लेकिन अपने सपने के अलावा और कोई जगा उसे याद नहीं आया।वो फिर से थोड़ी देर सोच ने लगी कि कहीं यही अर्पित ही वो तो नहीं जिसके इंतजार में अर्पिता कई सालों से थी।कैसा conincimdence हुआ ना ,की रंजीता ने कहा ही था कि जिसको सपने में अर्पिता ने देखा है वो अर्पित होगा और ऐसा ही हुआ।तो फिर अर्पिता सोचने लगी कि ये सब हकीकत है या ये सिर्फ एक फसाना है।क्या है ये। क्यों अर्पिता ने जिसको सपने में देखा उसका नाम सच में अर्पित ही है।ऐसे ही अर्पिता फिर से अर्पित कि profile देखती है लेकिन उसको अर्पित कि address और date of birth के अलावा कुछ भी नहीं मिला।अर्पित का घर अर्पिता के शहर के पास वाले सहर में ही था।और अर्पित अर्पिता से 2 साल बड़ा था।अर्पिता सोच में पड़ गई की अर्पित कि पूरी फैमिली की पता कैसे लगाए।ऐसे ही सोचते सोचते वो नीचे आ गई,थोड़ी देर diary लिखने के बाद सो गई।
अगले सुबह जब उठी उसके दिमाग में बस यह चल रहा था कि कैसे अर्पित का पता लगाया जाए।थोड़ी देर के बाद दादी उसे बुलाती है।वो जब जाती है देखती है एक लड़की और उसकी मा आयि है।वो जाकर देखती है।तब दादी बता ती है कि ,"देख ये मेरी मायके के रिश्तेदार है,हमेशा मा बाप के जाने के बाद बचे उनके रिस्तेदारो की भूल जाते है ,लेकिन इन्होंने हमे भुला नहीं है,आज भी हमारे साथ इनका अच्छा रिश्ता है।"अर्पिता भी उनको प्रणाम करके नस्ता बनाने जाती है। तब तक उसकी मा मेहमानों को लेकर पूरा घर दिखती हैं। नाश्ते में अर्पिता पूरी और चोले बनती है।नस्टा खा कर वो लड़की जो थी उसने खुद तारीफ किया और कहा कि कास ऐसा कहना वो हमेशा खा पाती।तब उसकी मा ने कहा ,"देखो समय कितनी जल्दी बीत गया ना,मेरी बच्ची(अर्पिता को) कितनी छोटी थी जब हम पिछली बार आए थी।आज कितनी बड़ी हो गई है।"अर्पिता को "मेरी बच्ची"सुनकर वो बोहित अपनी सी लगी।उसने सोचा ये अयो थी पहले भी? मुझे तो याद नहीं।चाहे जो हो लेकिन ये बोहिट अच्छी हैं,इनमें एक अपना पन दिखाई दे रही है।"नाश्ता खतम होने के बाद वो लड़की के साथ अर्पिता ने बात किया।दोनों बातों में ही लग गए।उसके लड़की में भी अर्पिता ने अपना पन देखा।अख्री में जब उसकी मा जाने को बुलाती है तब वो लड़की अर्पिता से कहती है,"अरे!हम तो बातो में ही लग गए ,हमने तो एक दूसरे का नाम ही नहीं जाना ,by the way I am Ananya,and you?""I am Arpita",अर्पिता ने कहा।ऐसे ही ananya और अर्पिता की दोस्ती बन गई।ananya arpita से 3 साल छोटी थी तो उसने अर्पिता को didi बुलाया।ऐसे ही बाते करते करते कब टाइम चला गया पता ही नहीं चला ।फिर से जब मा की आवाज़ आती तो अर्पिता और Ananya को पता चला कि उन दोनों ने काफी समय तक बात कर ली है। नीचे आने के बाद अनन्या और अर्पिता एक दूसरे को फोन नंबर देते है और अनानाया और उसकी मा चले जाते हैं।
आज दिन भर अर्पिता का टाइम अनन्या के साथ बिता ।आज का दिन उसे बोहुत अच्छा लगा।
अब अगले part में देखते हैं आगे क्या होता है।