29 Arpu कि Arpi

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पिछले पार्ट में पढ़ा था कि अर्पित और अर्पिता की सादी बड़े धूम - धाम से होती है।और अर्पिता अपने नए घर में अपने पाती के साथ प्रवेश करती है और सारे रस्में अच्छी तरह निभाती है।अब आगे:-
        सारे रश्मे खतम होने के बाद अर्पिता अपने कमरे में अर्पित का इंतज़ार कर रही थी।नए अरमान जग रहे थे उसके आंखो में।एक दिन था जब उसे नहीं लग रहा था कि अर्पित से उसकी सादी हो पाएगी ,लेकिन आज वो अर्पित कि पत्नी बन चुकी है।अकेले बैठ अर्पिता अपने आप से वादा कर रही थी कि वो अपनी पत्नी धर्म हमेशा निभाएगी,अर्पित केलिए एक अच्छी पत्नी बनेगी और घर की एक अच्छी बहू बनेगी।किसी के मन में कभी दुःख न देगी।तभी अर्पित कमरे का दरवाजा खोलता है।अर्पिता उसे देख के घूंघट को  नीचे कर देती है।अर्पित अंदर आ कर दरवाजा बंद कर देता है और धीरे से अर्पिता के पास आ के बैठ जाता है और थोड़ा थोड़ा सरमाते सरमाते उसका घूंघट उठता है।अब बस दोनों एक दूसरे को देखने लग गए।कुछ देर के बाद अर्पिता झट से अर्पित को गले लगा लेती है और खुशी से रोने लगती है। अर्पित कहता है,"कितना रो ती हो यार तुम? अब इसमें रो ना क्या ? तुम तो चाहती थी कि में तुम्हारा हो जाऊं आज तो तुम्हारा हुआ में  अब रो क्यों रही हो?" अर्पिता कहती है,"ये खुशी के आंसु है, में आपको बता नहीं सकती कि में कितना खुश हूं?" अर्पित हस ता है और उसके आंसु पोछ देता है।अर्पित कहता है,"अर्पिता आज से हम एक नई ज़िन्दगी सुरु करने जा रहे हैं।आगे हम कदम पे कदम मिलके चलेंगे ,हर सुख दुःख में एक दूसरे का साथ देंगे ,एक दूसरे को समझेंगे, तुम कुछ गलती करोगी तो में तुम्हे समझाऊंगा और ज़रूरत पड़ने पर दांटूंगा,अगर में कुछ ग़लत करूं तो तुम भी वही करना,करोगी ना ये सब?"

अर्पिता - जी हां हर सुख दुःख में आपका साथ दूंगी और हर परेशानी में एक दोस्त कि तरह आपके साथ खड़ी रहूंगी और आप अगर कुछ गलत करेंगे तो आप को समझाऊंगी लेकिन उसके पहले आपके कान भी पकड़ूंगी।क्यों इतना हक तो बनता है ना?

अर्पित - हां हां ज़रूर।

अर्पिता - अर्पित आप से एक और भी बात पूछनी थी,पहले भी पूछा था?

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