पिछले पार्ट में पढ़ा था अर्पिता मन ही मन अर्पित को लेकर खूब थी पर अर्पित इस सबसे बेखबर था और जब उसकी मा ने पूछा उसको अर्पिता से सादी करने को तो उसने मना कर दिया।अब क्या होगा अर्पिता के सपनों का ,क्या अर्पित राज़ी होगा सादी केलिए ?
अर्पित ने अर्पिता से सादी करने केलिए राज़ी नहीं था ।ये बात सुन कर उसकी मा गुस्से से चली जाती है।अर्पित अब सोच में पड़ जाता है कि अब क्या करे वो।मा को कैसे समझाए?ऐसे ही मा दो दिन तक उस से नाराज़ थी,बात भी नहीं की उन्होंने अर्पित से।अगले दिन अर्पित कि मा का birthay था।अर्पित और अनन्या ने मिलकर surpraise planing की। उसमे अर्पिता और उसके पारीबर को भी बुलाया गया था।साम को जब अर्पित कि मा को जब पता चलता है कि उनके बच्चो ने ये सब planing की है उन्हें बहुत खुशि मिलती है पर वो फिर भी अर्पित से बात नहीं कर रही थी।अर्पिता ने इस बात को mark किया की अर्पित कि मा अर्पित से बात नहीं कर रही थी। सायाद वो अर्पित से नाराज़ है। ने जब अर्पित को पूछा,"अर्पित ! बुरा मत मान ना,में बस जान ना चाहती ती की क्यों आज aunty की mood अच्छा नहीं लग रहा, कुछ हुआ है क्या?" ये पगली तो अर्पित की अपना मान कर पूछ रही थी लेकिन अर्पित गुस्सा हो गया और उसने कहा,"ये मेरी और मेरी मा के बीच की बात है ,इसमें कोई दखल दे ये मुझे पसंद नहीं।" अर्पिता ने फिर से कहा,"नहीं में आपके बीच दखल नहीं दे रही थी मैने तो बस ऐसे ही....." तब अर्पित अर्पिता के ऊपर चिल्लाता है,"तुम जाओ यहां से मुझे कुछ नहीं कहना ,सब तुम्हारे..." अर्पिता ने ऐसे कभी भी अर्पित देखा नहीं था,ये क्या हो गया आज अर्पित को ?उस तरफ अनन्या ये सब देख रही थी,पर उसने मा को बताया तो मा फिर से नाराज़ हो जाएंगी ।अब अनन्या ने देखा अर्पिता रोने लगी है।वो जल्दी से उसके पास जाती है और कहती है चलो cake cutting भी होगा।अर्पिता को खींच के ले जाती है,और अर्पित के पास ही खड़ा कर देती है।अर्पित फिर से गुस्से से अर्पिता को देखता है। अर्पिता मासूम बच्चे की तरह अर्पित को देखती है और उस से थोड़ी दूर चली गई।अर्पित ने अच्छी तरह अर्पिता के मासूम आंखो में आंसू देखे थे।ऐसा ही तो होता है जब कोई अपना इतना hurt करता है 🥺। Cake cutting खतम होने के बाद अर्पिता ने देखा सुलोचना जो ने सबसे बस हस कर बात कर रही थीं सिवाए अर्पित के।अर्पित वहां से चला जाता है अपने कमरे में , कमरे में जाने के बाद वो सोचता है कि आज उसकी मा उस पर नाराज़ है तो सिर्फ अर्पिता की ही बजाह से,वो अर्पिता के ऊपर मन ही मन में गुस्सा हो रहा था।अब अर्पिता ने अनन्या से पूछा अर्पित के बारे में तो अनन्या ने कहा,"दीदी ऐसी कोई बात नहीं हुई है,बस थोड़ी सी नाराज़ हैं ,मुझे भी ठीक से पता नहीं किया हुए है!"अनन्या ने अर्पिता को असली बात बताई नहीं क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि अर्पिता को और दुःख हो।अर्पिता अब सुलोचना जी के पास सारी हैं वह सुलोचना जी और उनके पति अमरेन्द्र भी बैठे थे।अर्पिता ने दरवाज़ा खड़ खड़ाया और पूछा,"aunty!में अंदर आ सकती हूं।"सुलोचना जी इजाजत देती हैं और अमरेन्द्र जी से परिचय करती है,"बेटा!ये अर्पित के पापा ,दो दो बार में तुम्हारे घर गई थी पर ये नहीं गए थे ,कुछ काम से बाहर चले गई थे।"अर्पिता उनकी पैर छूं ती है।अब वो जिस मकसद से अति थी वो कैसे पूरा करेगी यही सोच रही थी।
तभी अचानक से अमरेन्द्र जी का phone बजता है और वो चले जाते हैं।तभी अर्पिता सुलोचना जी से असली बात कहती है,"aunty!क्या आप अर्पित से नाराज़ हैं?नहीं में तो बस ऐसे ही कुछ रही थी मुझे लगा कि आप..." सुलोचना जी कहती हैं,"हां हूं में नाराज़ उस से ,उसने काम ही ऐसा किया है,खेर तुझे कैसे पता चला?"अर्पिता ने कहा,"मेने देखा कि आज अर्पित थोड़े दुखी लग रहे हैं और आप भी।" सुलोचना जी ने कहा,"हां ,बेटा एक बात बोलूं बुरा मत में ना,वो दरउसल मेने और तुम्हारी फैमिली ने डिसाइड किया था कि अर्पित से तेरी सादी कर दे,लेकिन अर्पित नाराज़ है,वो नहीं चाहता सादी करने केलिए,पर मुझे तू ही पसंद है ।"अर्पिता की पैरों तले से जमीन फिसल गई जब उसने सुना अर्पित नाराज़ है।फिर भी उसने खुद को संभाल ते हुए कहा,"अच्छा इतनी सी बात से आप अनपे नाराज़ हैं!ये भी कोई बात है,उनकी भी कुछ पसंद नापसंद होगी ,सैयद वो किसी और को पसंद करते हो,आप उनसे इस बात की नाराज़ मत होइए"सुलोचना जी ने कहा,"नहीं वो किसी और को भी पसंद नहीं कर ता मेने खुल के बात कर ली उस से ,पर वो कहा रहा है कि उसे कोई भी पसंद ही नहीं,में इसीलिए उसे समझ रही हूं तुझसे सादी कर ले ,लेकिन वो है कि मानता नहीं,अब जब तक वो हां नहीं कहता तब तक में भी उस से बात नहीं करूंगी।"अर्पिता फिर से समझती है,"आंटी! आज आप अपने जिद्द से भले ही मना ले उन्हें पर क्या हम खूब रहे पाएंगे इस रिश्ते से,आप बोलिए अगर उनको में पसंद नहीं हूं तो कैसे रहेंगे पूरी ज़िन्दगी मेरे साथ?"सुलोचना जी कहती हैं,"अरे वो तुझे पसंद करता है पर दोस्त के जैसा,इसी लिए कहा रही हूं इस दोस्ती को थोड़ा आगे बढ़ाएं,बेटा मेरा दिल कहा रहा है कि तुम दोनों एक दूसरे केलिए ही बने हो,और एक बार सादी हो जाए ना तो खुश रहो गे तुम दोनों।"अर्पिता कहती है,"नहीं आंटी आप अपनी जिद्द पे मत रहिए,आज आपकी ज़िन्दगी का एक खुशि का दिन है क्या आप अपने बेटे को दुःख में देख सकती हैं आज?जाइए ना अर्पित के पास उनकी मन कि बात जान लीजिए वो क्या चाहते हैं,उसके बाद कुछ डिसिजन लेंगी।"सुलोचना जी के आंखो में पानी आ जाता है अर्पिता की बात सुनकर,वो अर्पिता के सर को चूम ती है और कहती है कि कास अर्पित राज़ी हो जाए और अर्पिता को घर की बोहू बनाकर के आए। अब जाने का वक़्त हो चुका था अर्पिता ने सुलोचना जी को bye कहा और फिर से समझाया की वो जा कर अर्पित से बात करें।
अब साम ढल के रात हो गई थी। अर्पित के घर में सभी ने डिनर कर ने के बाद अपने अपने कमरे में का रहे थे सोने।अर्पित तो आज जल्दी ही सो गया था।उसकी मा उसके कमरे में गई ।उन्होंने देखा अर्पित एक दम मासूम से बचे की तरह सो गया है।उसने चादर भी नहीं ढ़नके थे।मा ने उस के ऊपर चादर ढंक दिया और उसके माथे को चूम के आ गई मा तो मा है ना ,चाहे वो जितना भी नाराज़ क्यों ना हो उसकी दिल पिघल ही जाता है।मा के जाने के बाद अर्पित उठा ,actually वो सोया ही नहीं था,पर उसकी मा को ये पता नहीं चला।अर्पित उठकर खूस हो गया कि मा अब उस पर नाराज़ नहीं है।अब वो सोचने लगा ऐसा जादू हुए कैसे मा तो इतनी जल्दी नहीं मानती।खेर जो हुआ अच्छा हुआ सोच के शांति से सो गया।
उस तरफ अर्पिता रो रही थी।उसे आज सरोज की याद आ रही थी।पहले ही उसने देख लिया था अपने ही आंखो के सामने सपना टूटना अब फिर से वही हुआ।क्यों कोई उसे पसंद नहीं करता ? सरोज के बाद अब अर्पित ही उसकी ज़िन्दगी में खुशियों का बुनियाद बैंक आया था,और वो भी सब charachter contain करके को अर्पिता अपने होने वाले पाती के बारे में सोचती थी। अब फिर से उसका प्यार खो गया। वो इस बार रथ भर खुशियों में नहीं गम के आंसुओ में डूब कर सोई थी।
अब अगली chapter में देखते हैं कि क्या होगा आगे।