Chapter-2

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सिया ने रोते हुए डर कर आंखें बंद कर ली .... उसे महसूस हो रहा था कि अब उसके साथ बहुत बुरा होगा ! क्योंकि वो नकाबपोश बिल्कुल सिया के मुंह के पास था सिया को उसकी सांसों की आवाज भी सुनाई दे रही थी !

तभी वो सिया के दाएं गाल के पास अपना नकाब वाला मुंह चिपकाता हुआं सिया के कान के पास बोला " क्या हुआ ? अब आंखें क्यो बंद कर ली ? देखो गी नही मेरी मर्दानगी ?

सिया इतना डर गई कि उसके मुंह से चीख निकल गई वो रोते रोते बोली " माना मैने गलत बोला लेकिन गुस्से में बोला.. क्योंकि मेरी जगह कोई भी होगा तो कुछ भी बोल सकता है ! तुमने मुझे इतने दिन से कैद कर रखा है मारते हो पीटते हो मेरी हालत तो देखो ! कुसूर क्या है मेरा ?

सिया कहते कहते बिलख बिलख कर रोने लगी !
तभी वो नकाबपोश बिल्कुल सिया के मुंह के पास मुंह करके बोला " लेकिन अब तुम ये तो समझ ही गई होगी कि मै कुछ भी कर सकता हूं ! अभी चाहू तो तुमको आम की गुठली की तरह चूस कर फेक सकता हू कुछ नही कर पाओगी तुम ! इसलिए आगे से अपना मुंह बंद रखना !

सिया ने धीरे से आखे खोली तो वो बिल्कुल सिया के पास झुका हुआ था उसका मुंह सिया के मुंह के इतना करीब था कि उसकी सांसों की आवाज भी सिया सुन पा रही थी ! सिया ने उसकी आंखों में देखा जो उस नकाब मे से सिया को ही घूर रही थी !
उसकी आखे बडी बडी और नीली थी सिया को इतना तो पता चल गया था कि वो कोई उम्रदराज आदमी नही कोई लडका था !
सिया गौर से उसकी आंखों को देखने लगी तभी वो एकदम से उठा और सिया के कपडे जमीन से उठा कर सिया की तरफ फेंकता हुआ बाहर निकल गया !

सिया ने फटाफट कपड़े पहन लिए और चुपचाप दीवार के साथ सट कर बैठ गई और सोचने लगी " ये आखिर मुझ से चाहता क्या है ? क्यो कैद कर रखा है इसने मुझे ? आज वो बहुत गलत कर सकता था मेरे साथ ... लेकिन छोड कर चला गया ! और जब मैने उसकी आंखों में गहराई से देखा तो उठ खडा हुआ !

ऐसे अनगिनत सवाल सिया के दिमाग में चल रहे थे ! ये नकाबपोश उसकी समझ से बाहर होता जा रहा था।
अब तो बस वो उस मौके की तलाश में थी कि कब यहां से निकल सके ! या इस नकाबपोश को ही उस पर दया आ जाये !
और वो उसे छोड़ दे !

 नई सड़क पार्ट-2 (कैद)(18+)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें