Chapter-6

573 16 29
                                    

युवराज " कहा था ना कि सुन नही पाओगी और नफरत करोगी मुझसे ! उतरा ना अब तुम्हारे सर से प्यार का भूत !

सिया की आंखों में गुस्सा उतर आया वो तेजी से उठी और युवराज के सामने खडी हो गई और उसके मुंह पर दोनों तरफ से चांटों की बौछार करने लगी !

युवराज ने उसे रोका नहीं वो चुपचाप खडा रहा !

सिया जब थक कर रुक गई तो गुस्से में बोली " तुम प्यार की फीलिंग को समझते भी हो ? तुम्हारा मतलब मेरे सर पर सिर्फ प्यार का भूत चढा था जो उतर गया ? प्यार वो अहसास है कि पता ही नही चलता इन्सान को कि कब हो गया कब कोई इतना अच्छा लगने लग जाता है कि वो हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है हम खुद मजबूर हो जाते है अपने दिल के हाथों जब कोई हमारे दिल में हमें बिना बताए बस जाता है !

लेकिन तुम जैसे लोग नही समझो गे जिनके अंदर कोई फीलिंग ही नही होती ! तभी तुम जैसे लोगो को गलतफहमियां हो जाती है जिन्दगी में जिससे अपनी जिंदगी तो खराब करते ही हो बल्कि जो तुमसे जुड जाते है उनकी भी जिन्दगी खराब करते हो !

युवराज " ये भाषण देना आसान है लेकिन जिस पर बीतती है वो ही समझ सकता है !

सिया " तुम जो भी समझो लेकिन मेरे पापा के बारे में कुछ भी गलत मत बोलो ! मै अपने पापा के बारे में कुछ भी गलत नही सुन सकती !

युवराज " मालूम था मुझे कि सुन नही पाओगी ! तो जाओ अपने बाप के पास ! मिल लो उससे अच्छी तरह से क्योंकि उसके जीने के दिन अब खत्म हो गये !

सिया गुस्से में युवराज को दोनों हाथों से सामने से धक्का देती हुई बोली " क्या बोले जा रहे हो तुम ? मेरे पापा ने ऐसा क्या किया ? वो तो एक बहुत नेक इंसान है ! मेरे पापा तक पहुंचने से पहले तुम्हारे रास्ते में मै खडी हू ! मार दो मुझे !

युवराज गुस्से में सिया को गर्दन से पकड कर दीवार के साथ लगाता हुआ बोला " तुमको मारना होता ना तो मार कर तुम्हारे बाप के आगे फेंक देता ! उसकी कमजोरी हो तुम ये जानता हू मै ! तभी तुम्हे उठा कर लाया कि उसको तड़पता हुआ देखू ! उसे भी तो पता चले कि अपनों के खो जाने का गम क्या होता है !

 नई सड़क पार्ट-2 (कैद)(18+)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें