Chapter -27

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सिया भारी कदमों से मैंशन के दरवाजे के पास पहुंच कर खड़ी हो गई , दरवाज़ा आटोमेटिक लॉक से खुद खुल गया !!

सिया ने गेट के अंदर कदम रखा तभी सामने से अनिता ने भागते हुए सिया के पास आकर उसे गले से लगा लिया और बेतहाशा खुशी से सिया को सर से पांव तक अच्छे से देखने के बाद बोली :- गुड़िया !!! मेरा बच्चा !! ठीक है ना तू ???? तू आ गई घर !! मैं बहुत खुश हूं विक्रम कह ही रहे थे कि मैं गुड़िया को वापस लेकर ही लौटूंगा !!! विक्रम ने कर दी अपनी बात पूरी !!

अनिता सिया को देखकर खुशी के मारे मैंशन के सारे नौकरों को आवाज लगाने लगी :- फातिमा!! उजागर!!? जल्दी गुड़िया का कमरा तैयार करो जल्दी गुड़िया की पसंद का नाश्ता तैयार करो !!!!

सिया तो जैसे जड़ बनकर खड़ी थी अनिता की कोई भी बात जैसे उसे सुनाई ही नहीं दे रही थी !!!

अनिता सिया को पकड़ कर चलते हुए सिया के कमरे में ले आई और सिया को सोफे पर बिठाते हुए बोली :- देख बेटा !! मैंने और विक्रम ने तेरा कमरा वैसा का वैसा ही रखा है जैसे तुझे पसंद था !!

अनिता खुशी से सिया को कमरे की सारी चीज़ों के बारे में बताने लगी !!

अनिता:- गुड़िया बेटा !! तुम आराम करो थोड़ा ,मैं मोहन से मिल कर आती हूं !!

सिया एकदम से सोफे से उठी और कस कर अनिता के गले लग गई और जोर जोर से रोने लगी !!

अनिता सिया को इस तरह से अपने गले से लगते हुए देखकर बोली :- गुड़िया ओ गुड़िया बेटा अब क्यूं रोना ? अब तू अपने पापा और मां के पास अपने घर पर हैं !!

सिया अनिता से लिपटे हुए रोते रोते:- मां मां !!!!!

अनिता :- हां गुड़िया बेटा !! मैं हूं तेरे पास और अभी तेरे पापा भी आते होंगे !! अब बस तुम खुश रहो और पीछे का सब भूल जाओ !!!

सिया इतनी बुरी तरह से रो रही थी अनिता से लिपट कर कि उसकी गले की आवाज तक घुट सी गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि मां को कैसे बताएं पापा के बारे में ?? मां तो सुनते ही पागल हो जायेगी ,जो अभी इतनी खुश हैं !!

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