Chapter-8

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सिया के दिल का डर बढता ही जा रहा था , उसे पता था अगर उसके पापा गुनहगार हुए तो वो अपने पापा को खो देगी !
लेकिन वो अब अपनी जिंदगी में दोनों को ही चाहती थी , पापा उसकी जान थे और अब युवराज उसके दिल की धड़कन ! दोनों के बिना उसका जीना मुश्किल था !

दीवार के साथ पीठ लगा कर बैठी सिया अपनी उलझनों में खोई सोच रही थी तभी युवराज ने उसे कंधे से पकड कर हिलाया , क्योंकि वो दो बार कुछ बोल चुका था लेकिन सिया ने सुना नही था !

सिया युवराज की तरफ देखती हुई बोली " हां बोलो ?

युवराज " कहां खोई हो ?

सिया युवराज के हिलाने पर जैसे ही अपनी सोच से बाहर निकली उसने मुंह उठा कर युवराज की तरफ देखा , वो पास खडा उसे ही देख रहा था !

युवराज का चेहरा देखते ही सिया को पता नही कहां से मस्ती सूझी .. वो अंगड़ाई लेकर जमीन पर लेट गई !

युवराज सिया को हैरानी से देखते हुए बोला" "क्या हुआ ??

सिया " अभी तो कुछ नही हुआ ! तुम्हारे बिना कैसे हो सकता है !!!

सिया के चेहरे पर शरारत देख कर युवराज बोला " तुम फिर शुरू हो गई !!

सिया " शुरू तो तुम करोगे !

युवराज " दिमाग सही करो ! लडकी !!! चलो उठो .. बाहर हाल मे बैठो ! मै खाना लेकर आता हू !

सिया " बाहर बिठाना है तो मुझे उठा कर लेकर जाओ !

युवराज " तो फिर यही लेटी रहो ! मै खाना लेने जा रहा हू !

युवराज कमरे से बाहर हाल में आ गया ! और बाहर के ताले की चाबियां उठाने लगा !

तभी सिया बोली " मै तब तक नही उठूंगी जब तक तुम उठा कर बाहर नही बिठा देते फिर चाहे बेशक खाना ठंडा हो जाए !

युवराज सिया की बात सुनकर रुक गया उसने चाबियां वापस मेज पर रखी और कमरे में आकर सिया के पास आकर खडा होकर बोला " मतलब जिद पूरी करनी है !

सिया मुस्कुराते हुए " तुम मान जाओ ! फिर जिद करना छोड़ दूंगी !

युवराज सिया की बात का जवाब दिए बिना झुका और दोनों हाथों से सिया को अपनी बाहों में उठाया और बाहर हाल की तरफ मुड़ा !

 नई सड़क पार्ट-2 (कैद)(18+)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें