Chapter -24

173 3 1
                                    

सिया युवराज के सामने आकर खड़ी हो गई और हैरानी से उसके चेहरे की तरफ़ देखते हुए बोली " ये तुम किस तरह से बात कर रहे हो युवराज ?????

युवराज" किस तरह से बात कर रहा हूं बोलो.!!!!!!!!

सिया "इतना गुस्सा किस लिए ???? तुम्हारे कहने पर तो चल रही हूं !!! तुम्हीं ने तो पापा को यहां बुलाने को बोला और तुम्हीं ने उनको वो सब कहने को बोला .. फिर गुस्से का क्या मतलब ???

युवराज" गुस्सा इसलिए आ रहा है कि तुम्हें तुम्हारे बाप की मक्कारी नहीं दिख रही !! तुम उसके बारे में इतना सोच रही हो कि मुझे भूल ही जाती हो !!!

सिया " युवराज!!!! वो मेरे पापा हैं !! दुनिया में सबसे पहले वो इंसान हैं जिनसे मैं बेहद प्यार करती हूं !!!

युवराज" ये प्यार नहीं है सिया !!! ये पोजीसिवनेस है कि तुम अपने बाप के गुनाहों को देख ही नहीं रही हो !! बस तुम्हें तो उसकी फ़िक्र है इसी आड़ में वो गुनाह करता आ रहा है !!!और तुम उसके प्यार में पागल हो !!!

सिया गुस्से में " हां मैं पोजिसिव हूं अपने पापा के लिए क्योंकि उन्होंने मुझे इतने नाजों से पाला है कि मुझे आज तक जरा सी भी तकलीफ़ नहीं होने दी अपनी जान तक की परवाह नहीं करते वो दुनिया के बेस्ट पापा हैं वो !!

युवराज" ठीक है तो जाओ चली जाओ दुनिया के बेस्ट पापा के साथ यहां से , क्योंकि नहीं तो मेरे हाथों उसका क़त्ल हो जायेगा !!! मैं जब उसको देखता हूं तो मुझे मेरा अतीत नज़र आता है जो तुम्हारे बेस्ट पापा ने तबाह कर दिया !!!

सिया " ये कैसी बात हुई भला ????? उनके साथ रहना होता तो यहां क्यों आती !!

युवराज तल्खी से " सिया!!!! ओ सिया !!! ज़रा ठंडे दिमाग से बैठ के सोचो !! तुम अपने बाप को छोड़ कर आई भी हो कि नहीं ???? सिया तुम दो नावों में सवार होकर चलना चाहती हो जो कि नहीं हो सकता!!!! समझी तुम ?????

सिया " इससे क्या मतलब है तुम्हारा ???

युवराज" इससे ये मतलब है कि तुम्हारे प्यार करने की वजह से ही विक्रम राना आज गुनाहगार होकर भी यहां आराम से बैठा है वो जानता है कि मेरी बेटी मुझे कुछ नहीं होने देगी !! वो तुम्हारी कमजोरी जानता है !!कि मेरी बेटी के सामने मुझे कोई हाथ नहीं लगा सकता !!

 नई सड़क पार्ट-2 (कैद)(18+)जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें