Chapter-17

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युवराज कार ड्राइव कर रहा था और सिया उसके साथ वाली सीट पर उसके कन्धे पर सर रख कर शान्त गहरी सोच में डूबी हुई बैठी थी !!!

वो ड्राइव करते हुए बहुत दूर निकल आये थे !!युवराज ने सिया की तरफ हल्का सा देख कर उसकी चुप्पी तोडी और बोला " जब से वहां से चले है हम तुम, एक शब्द नहीं बोली हो मेरी जान, क्या सोच रही हो ??

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वो ड्राइव करते हुए बहुत दूर निकल आये थे !!
युवराज ने सिया की तरफ हल्का सा देख कर उसकी चुप्पी तोडी और बोला " जब से वहां से चले है हम तुम, एक शब्द नहीं बोली हो मेरी जान, क्या सोच रही हो ??

युवराज की आवाज सुन कर सिया अपनी सोच से बाहर आई और आसपास देखते हुए बोली" हम कहां जा रहै है युवराज ???

युवराज " आज मैं तुमको अपने घर लेकर जा रहा हूं जहां मैं रहता हूं और पहली बार कीर्ति को भी लेकर गया था लेकिन कीर्ति के जाने के बाद मैं वहां कभी नहीं गया ,अब तुम्हारे साथ जा रहा हूं !!!

सिया युवराज की तरफ प्यार से देखते हुए बोली" अच्छा !!!

युवराज " तुम खुश तो हो ना मेरे साथ मेरे घर चल कर ???

सिया " हां खुश हूं !!! तुमने ये सवाल क्यूं पूछा ???

युवराज" घर पहुंच कर बताऊंगा कि मैंने ये सवाल क्यूं पूछा !!!

घर पहुंचते पहुंचते शाम हो गई थी !! युवराज ने कार को घर के साइड में खाली जगह पर लगा दिया और अपने घर का ताला खोलने लग गया !!

सिया और युवराज घर के अंदर दाखिल हुए तो सारा घर धूल मिट्टी से भरा हुआ था !! एक बड़ा सा कमरा साथ में किचन ,एक साइड में वाशरुम था !!

युवराज एक पुराना कपड़ा लेकर कुर्सी साफ करने लग गया और सिया की तरफ देखकर बोला " बहुत समय से घर बंद पड़ा था ना इसलिए धूल मिट्टी हो रही है ! तुम बैठो मैं धीरे धीरे सब साफ़ कर दूंगा !!

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