Chapter-7

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सिया युवराज की तरफ गौर से देख रही थी ..कि कब वो आगे की बात पूरी करे !
वो जड़ सी बनी दीवार से पीठ लगा कर बैठी थी !

युवराज कुर्सी से उठ कर नीचे जमीन पर बैठ गया और आगे बताना शुरू किया " मै अस्पताल से घर की तरफ लौट रहा था लेकिन मेरे दिमाग में एक ही नाम गूंज रहा था .. जो डाक्टर ने बताया था ! विक्रम राना !!!!!

"आखिर ये विक्रम राना है कौन ? कहां मिलेगा ? उसके बारे में जानना बहुत जरूरी है ! मेरी सोचते सोचते आंखें जल रही थी उनमें इतना गुस्सा था कि पूरी दुनिया जला दूं !

मै सोचते हुए गुस्से में अपने गैराज पहुंचा ! वहां जाके बस कुर्सी पर बैठ गया और फिर गुस्से में दीवार पर जोर जोर से मुक्के मारने लग गया !

तभी कीर्ति के अंकल ने मुझे आके रोका और कुर्सी पर बैठाया !

अंकल " क्यो अपने आप ओ चोट पहुंचा कर अपना गुस्सा ख़त्म कर रहे हो ? अपने अंदर की ये आग संभाल कर रखो विक्रम राना को जलाने के लिए !

"क्या करु मै ???? कल मेरे साथ कीर्ति थी लेकिन आज नही ! कोई उम्मीद भी नहीं उसके आने की ! मै उस दरिंदे विक्रम राना को छोड़ूं गा नही ! खत्म कर दूंगा उसे !

अंकल " मै जानता हू कि तुम्हारे अंदर की ये आग विक्रम राना ओ जरुर जला देगी !

"लेकिन वो मुझे मिलेगा कहां ! कोई तो सुराग होगा उसका ? कुछ तो पता लगे उसके बारे में ? मै झल्ला कर आपने हाथ मसलने लग गया !

अंकल " सब कुछ पता लग जायेगा उसके बारे में ,और हम मिल कर बदला लेगे पूरी प्लानिंग से , क्योंकि वो बहुत ख़तरनाक है वो अकेला ही इतना शातिर है कि उससे हाथो से नही बल्कि दिमाग से ही लडा जा सकता है !

"मै आपकी बात समझा नहीं ? मतलब आप विक्रम राना का अता पता , सब कुछ जानते है ? मैने उनकी तरफ सवालिया नज़रों से देखा !

अंकल " चलो मेरे साथ !

" कहां ????? मैने फिर पूछा !

अंकल " एक इंसान है जो तुम्हारे सारे सवालों के जवाब दे सकता है !

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